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अलवर

चीन से सीमा विवाद के कारण राजस्थान की फैक्ट्रियों में काम ठप, नहीं हो पा रहा उत्पादन, जानिए क्या है कारण

चीन से विवाद के कारण वहां से आने वाला सामान व इंजीनियर नहीं आ पा रहे हैं, ऐसे में कई उद्योगों में काम बंद पड़ा है

अलवरJul 22, 2020 / 09:44 pm

Lubhavan

Neemrana Industries Work Down Due To Border Controversy With China

चीन से सीमा विवाद के कारण राजस्थान की फैक्ट्रियों में काम ठप, नहीं हो पा रहा उत्पादन, जानिए क्या है कारण

अलवर. गलवान घाटी में भारत और चीने के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद हुए तनाव और चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के माहौल ने अलवर जिले के नीमराणा औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़ी औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन शुरू होने से पहले ही उनका काम रुक गया है। यहां के 30 इकाइयों में आधे से अधिक मशीनें तो चीन से आ गई थी जबकि आधी मशीनें इस तनाव से बीच में ही रुक गई है। यहां के 50 प्रतिशत उद्योगों पर चीन से तनाव का सीधा प्रभाव पड़ा है।
नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में भी कुछ 60 प्रतिशत ऐसे उद्योग हैं जिन्हें अपने उत्पादन कार्यों से संबंधित समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। ये केवल चीनी मशीनों पर आधारित है जिनके कलपुर्जों की मरम्मत एवं नए उपकरण जो कि केवल चीन से ही मिलते हैं। ऐसे में उद्योग संचालकों के ना चाहते हुए भी पुराने वेंडरों से ही संपर्क कर कल पुर्जे, इंजीनियर एवं कच्चे माल को आयात करना मजबूरी बन गया है।
ऐसे में यहां के कई उद्योगों के सामने भारी संकट आ गया है।
वायु मार्ग बंद हैं और इनका सामान पानी की जहाज से मंगवाया जा रहा है जिनको बंदरगाहों पर रोक लिया जाता है तथा काफी दस्तावेजों की पूर्ति करने के बाद ही छोड़ा जाता है। ऐसी स्थिति में नए उद्योगों के लिए भी नई मशीनें मंगवाने के साथ -साथ उन मशीनों को स्थापित करने के लिए इंजीनियरों लाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जिससे नए उद्योगों की स्थापना में अड़चने आ रही हैं।
एक दर्जन उद्योगों का कच्चा माल बंद तो उत्पादन ठप-

नीमराणा क्षेत्र मे एक दर्जन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ऐसे हैं जो पूरी तरह इलेक्ट्रिकल उपकरण बनाने कीप्रक्रिया पर आधारित है । पूर्व में कच्चे माल एवं कल पुर्जो को केवल चाइना से आयात करते थे। इस तनाव के बीच उन सभी उद्योगों ने अपनी सभी आवश्यकताओं को किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहकर अन्य देशों इटली, कोरिया, अमेरिका, जापान, यूरोप, रूस, फ्रांस आदि बड़े औद्योगिक हब वाले देशों से अपनी पूर्ति कर रहे हैं ।
तीस उद्योग निर्माणाधीन, अब मशीनों का संकट-

नीमराना में 30 सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग ऐसे है जो निर्माणाधीन है जिनमें से कुछ उद्योगों में मशीनें आ गई तो इंजीनियर नहीं आने से मशीनों को स्थापित नहीं किया जा सका है तथा कुछ उद्योगों ने लॉक डाउन के पहले मशीनें आर्डर की थी जो अब तक नहीं आ पाई हैं।
कई पुराने उद्योग जो केवल चीन से ही कच्चे माल का आयात करते हैं। वो अब कोरिया एवं इटली जैसे देशों से अपने विकल्पों को ढूंढने में प्रयास कर रहे हैं।
ये आ रही समस्याएं-

– पुरानी मशीनों के उपकरण एवं मरम्मत के लिए इंजीनियर चीन से आते हैं ।
– नई मशीनों के आर्डर जो कि पूर्व में चीन से ही किए गए थे।
– कच्चे माल के लिए पूर्णतया कुछ उद्योग चीन पर ही निर्भर।
– नए व्यापारिक देशों के साथ दस्तावेजों की पूर्ति में कठिनाइयां ।
– उद्योगों में पुराने संग्रहण का समाप्त होना ।
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यह कह रहे यहां के उद्योगपति:
उभरने का प्रयास जारी-
नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों ने अपने उत्पादन को पूर्ण सक्रियता प्रदान करने के लिए भारतीय इंजिनियरों की मदद से अपने उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जुट गए हैं। लॉक डाउन के पूर्व में कुछ नए उद्योगों ने चीन से मशीनों को आयात करने के लिए आर्डर बुक कर रखे हैं जो कि अभी तक नहीं आ पाई हैं। ऐसे उद्योगों की स्थापना में रूकावटें आ रही हैं। कई उद्योगों की मशीनें आ चुकी है किंतु इंजीनियर नहीं आने से उनकी स्थापना नहीं हो पा रही है। सरकार ऐसे उद्योगों को सूचीबद्ध कर उनकी पूर्ण रूप से मदद करें।
-कृष्ण गोपाल कौशिक, महासचिव, नीमराना इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

कच्चे माल पर निर्भरता-

नीमराना औद्योगिक क्षेत्र के करीब एक दर्जन उद्योग जो कि चाइना से आयातित कच्चे माल पर निर्भर हैं । उन सभी उद्योगों ने भारत को आत्म निर्भर बनाने की दृष्टि से विदेशों से आयात कम करके स्थानीय कंपनियों से कच्चे माल की उपलब्धता हासिल करने के विकल्प जुटा रहे हैं ताकि अन्य किसी देश पर निर्भर नहीं रहे और हम आत्मनिर्भर भारत बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
-के. के. शर्मा,अध्यक्ष , नीमराना इंडस्ट्रीज एसोसिएशन।
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