गोली काण्ड से हुई नीमूचाणा गांव की पहचान
पांच सौ वर्ष पुराना है नीमूचाणा गांव

अलवर. 14 मई 1925 में अंग्रेजी शासन और अलवर राजा की ओर से लगाए गए डबल लगान को लेकर बानसूर कस्बे के नीमूचाणा गांव में आयोजित किसान आंदोलन में हुए गोली हत्या कांड से चर्चा में आए नीमूचाणा गांव की पहचान पूरे देश में हुई। किसान आंदोलन में हुए गोली हत्याकांड की महात्मा गांधी और आशीष शंकर विद्यार्थी ने भी कड़ी निंदा करते हुए गांधी ने इस हत्या कांड को जलियांवाला बाग हत्याकांड जैसा कांड बताया था । इस गोलीकांड में गांव को चारों ओर से घेर कर आग लगा दी गई थी ओर निहत्थे किसानों गोले दागे गए थे जिसमें करीब 250 किसानों की मौत हुई थी व सैकड़ों की संख्या में जानवर और किसानों की फसल नष्ट हो गई थी
आज भी गांव के सेठों का गांव से है लगाव
गांव नीमूचाणा के सेठ महाजन समाज के लोगों का पूरे देश में व्यवसाय करते थे । महाजन समाज के लोग आज भी गांव से बाहर रहने के बाद लगाव रखते हैं 2 साल पूर्व सेठो ने गांव में बड़े स्तर की भागवत कथा, नानी बाई का मायरा भी करवाया गांव में स्कूल धर्मशाला, हॉस्पिटल, मंदिर धार्मिक स्थल, गौशाला में आज भी उनका सहयोग रहता है, स्थानीय युवाओं को भी उन्होंने अपने में नौकरी पर रखा हुआ है गांव के युवा बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियों, आर्मी और निजी उद्योगों में कार्य करते हैं गांव में सेठों की बनी बड़ी हवेलियां आज सुनसान हैं।
अलवर को दिया पहला जिला प्रमुख
गांव के सेठ रामजी लाल गुप्ता अलवर जिले के पहले जिला प्रमुख बनने के बाद रामजी लाल गुप्ता ने गांव में सडक़ बनवाई स्कूल, मंदिर, धर्मशालाएं एवं समाज के अन्य लोगों के सहयोग से अस्पताल का भवन सहित के विकास कार्य करवाए और मिट्टी के टीलों का कहे जाने वाले गांव के रास्तों को ठीक कर गांव को मुख्य सडक़ों से जोड़ा बानसूर पंचायत समिति के पहले प्रधान भी नीमूचाना गांव से ही थे।
सोने की चाबी से ताला खोलकर किया था स्कूल का उद्घाटन
गांव में सेठों की ओर से बनाई गई स्कूल का ताला अलवर के तत्कालीन राजा ने सोने के ताले की चाबी से खोलकर स्कूल का उद्घाटन किया था। किवंदती है कि गांव की स्थापना नींबो नाम की गुजरी और चणा नाम के गुर्जर के नाम पर पर गांव का नाम नीमूचाना पड़ा। बाद में राजपूत लोगों का वर्चस्व हो गया । वर्तमान में सभी जातियों के लोग गांव में निवास करते हैं।
गांव में सडक़ का अभाव
गांव के बने पहले जिला प्रमुख ने गांव में उस समय सरकारी कॉलेज और रोडवेज के साधन भी लगवाए थे जो समय के साथ सब बंद हो गए गांव में वर्तमान में सीनियर सेकेंडरी स्कूल है लेकिन स्टाफ की कमी से ग्रामीणों को समस्या आती है। गांव में वर्तमान में सडक़ों का अभाव है वही पानी की भी समस्या रहती है।
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