अलवर. लॉक डाउन और इसके बाद अधिकतर उद्योग व व्यापार की गाड़ी पटरी पर नहीं आई है। अन लॉक के दौरान अलवर जिले में लोगों को 50 लोगों को शादी में बुलाने और दिन में ही शादी करने की शर्त रास आ रही है। अलवर जिले में जून मे 29 और 30 जून तथा अंतिम सावा देवशयनी एकादशी वाले दिन अंतिम दिन एक जुलाई को अंतिम सावा है। इन तीन सावो में अलवर जिले में 15 हजार शादियां होंगी। इसके लिए रियायती दरों पर मैरिज होम, होटल व विवाह स्थल बुक हैं। जिले में सबसे अधिक शादियां भडल्या नवमी के दिन जगन्नाथ रथयात्रा वाले दिन अबूझ सावे के दिन 8 हजार शादियां होंगी।
बाजार को मिली संजीवनी- इससे सबसे अधिक फायदा लॉक डाउन से ही मृत पड़े बाजार को हुआ है। बाजार में पहले की अपेक्षा शादियों में कम खर्च हुआ है लेकिन इनकी संख्या अधिक होने के कारण दुकानदार इस बिक्री से उत्साहित हैं। अलवर जिला मुख्यालय पर ही 10 करोड़ से अधिक का सोने व चांदी के जेवरात, करोड़ों की साड़ी व अन्य कपड़े सहित दुपहिया व चौपहिया वाहन बिके हैं। अलवर जिला मुख्यालय पर 600 चौपहिया वाहन इन शादियों के लिए बुक हुए हैं।
———– अलवर में व्यापार को मिला करोड़ों का काम- अलवर के व्यापार को इससे करोड़ों का काम मिला है। इस बारे में सभी क्षेत्रों से जुड़े व्यापारियों ने अपनी बात इस प्रकार कही।
सोने के जेवरातों की मांग- अनलॉक में सबसे अधिक मांग सोने के जेवरातों की है। सोने के भाव अधिक हुए हैं लेकिन फिर भी लोग सोने के जेवरात बेटी व बहू को गिफ्ट देना सबसे अच्छा निवेश मानते हैं। लोगों में सोने के प्रति क्रेज बरकरार है। लोगों का मानना है कि शादी में पैसा खर्च कम हो रहा है तो उसका सोना खरीदकर बेटी को दिया जा सकता है।
-दीपक गर्ग, ज्वैलर्स, अलवर। इन तीन दिनों में खूब शादियां- जून में दो दिन और एक जुलाई को तीन सावे में खूब शादियां हैं। इसके बाद काफी अंतराल के बाद शादियां होंगी जिसके कारण लोग नहीं चाहते कि हम और अधिक लेट हो। इसके कारण ऐसा हो रहा है।
– शिब्बू शास्त्री, ज्योतिषाचार्य। इस बार सावे कम हैं जिसके चलते इन तीन दिनों में ही लोग शादी करने जा रहे हैं। यह शादी समारोह सब जगह हैं। इसमें 50 लोग आ पाएंगे जिससे शादी ब्याह में खर्चा भी कम आ रहा है। मध्यम व गरीब परिवारों के लिए यह वरदान बन गया है।
– धीरज कटारिया, महासचिव, होटल व रेस्त्रा एसोसिएशन। शादी के लिए चौपहिया वाहन खूब संख्या में बिके हैं। इसके लिए कार पहले से ही बुक हो गई थी। गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार अपनी क्षमता के अनुसार दुपहिया वाहन भी दे रहा है। शादियों के कारण बाजार कुछ उठा है।
– मुकेश गुप्ता, दुपहिया व कार विक्रेता।