पत्रिका ने ‘नगर परिषद में भी आरटीओ की तरह दलालों की सीट’ शीर्षक से इस पूरे मामले का खुलासा किया था। जन्म-मृत्यु पंजीयन शाखा में तो एक युवक पिछले कई महीनों से कार्य कर रहा था। बकायदा उसकी सीट लगी थी। प्रमाण पत्र बनाने से पहले तक अहम काम भी उसे संभलवा रखा है। जबकि नगर परिषद के रिकॉर्ड में कहीं उसका नाम नहीं है। न ठेकेदार के जरिए लगा है न संविदा पर। न ही नियमित कर्मचारी है। फिर भी स्थाई कर्मचारी की तरह काम कर रहा था।
अधिकारियों को गुमराह कर बताया खुद का काम कराने आया
सम्बंधित कर्मचारियों से जवाब मांगा तो उन्होंने बाहरी युवक के बारे में बताया कि वह युवक खुद का कार्य कराने आया था। अब नहीं आएगा। जबकि हकीकत यह है कि उस युवक को पूरी जिम्मेदारी दे रखी थी।
सभी फाइलों का रिकॉर्ड भी वही देख रहा था। यह सही है कि खबर प्रकाशित होने के बाद उसका आना बंद हो गया है। कर्मचारियों को हिदायत भी दी है कि आगे से एेसा नहीं होना चाहिए।
सुरक्षागार्ड को टाइपिस्ट के रूप में लगाया नगर परिषद के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षागार्ड के रूप में एक दो कर्मचारियों को कार्यालय के काम में लगा रखा है। जो टाइपिस्ट का काम भी कर लेते हैं। उनको किसी शाखा का प्रभारी नहीं बनाया है। जन्म-मृत्यु शाखा के प्रभारी मोतीलाल हैं। आगे से उनकी देखरेख में ही पूरा काम कराया जाएगा।
बाहरी कोई नहीं आएगा
नगर परिषद में बाहरी कोई व्यक्ति कार्य नहीं कर सकता। जिसके बारे में जानकारी मिली है, उसको लेकर जवाब भी मांगा है। वैसे तो यह बताया गया कि वह युवक उस दिन खुद का कार्य कराने आए थे। आगे एेसा नहीं होने दिया जाएगा।
नगर परिषद में बाहरी कोई व्यक्ति कार्य नहीं कर सकता। जिसके बारे में जानकारी मिली है, उसको लेकर जवाब भी मांगा है। वैसे तो यह बताया गया कि वह युवक उस दिन खुद का कार्य कराने आए थे। आगे एेसा नहीं होने दिया जाएगा।
अशोक खन्ना, सभापति, नगर परिषद अलवर।