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बेसमेंट बनाने से पहले ये खबर जरूर पढ़ लें, जानिए क्या हैं नियम

बिल्डिंग बायलॉज बना है लेकिन इसका पालन शहर में नहीं हो रहा है। जगह-जगह बेसमेंट के लिए खुदाई चल रही हैं। निरीक्षण करने वाले न नगर निगम के पास हैं और न यूआईटी के पास।

अलवरJan 20, 2024 / 11:43 am

susheel kumar

बेसमेंट बनाने से पहले ये खबर जरूर पढ़ लें

बेसमेंट बनाने से पहले ये खबर जरूर पढ़ लें

बिल्डिंग बायलॉज बना है लेकिन इसका पालन शहर में नहीं हो रहा है। जगह-जगह बेसमेंट के लिए खुदाई चल रही हैं। निरीक्षण करने वाले न नगर निगम के पास हैं और न यूआईटी के पास। जानकार बताते हैं कि 10 बेसमेंट में से 4 ही बेसमेंट की अनुमति ली जाती है। बाकी अवैध रूप से बनते हैं और ये खेल चल रहा है। इससे सरकार को राजस्व का ही नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि आसपास के लोगों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

– 500 वर्ग मीटर जमीन पर ही बन सकता है बेसमेंट…यहां हर किसी को अनुमति, कई अवैध बनाए जा रहे

– शहर में 3 हजार से ज्यादा कॉमर्शियल बेसमेंट, पार्किंग का हो सकता है संचालन, पर अधिकांश किराये पर दिए गए

– आवासीय बेसमेंट भी 700 से ज्यादा, इसमें भी अधिकांश में कॉमर्शियल गतिविधियां संचालित, दर्जनों बेसमेंट के लिए जगह-जगह खुदाई चल रही

– नगर निगम व यूआईटी किसी को अनुमति दे देते तो किसी को नहीं, बिना अनुमति के कई जगहों पर बेसमेंट बनाए जा रहे

बिल्डिंग बायलॉज बना है लेकिन इसका पालन शहर में नहीं हो रहा है। जगह-जगह बेसमेंट के लिए खुदाई चल रही हैं। निरीक्षण करने वाले न नगर निगम के पास हैं और न यूआईटी के पास। जानकार बताते हैं कि 10 बेसमेंट में से 4 ही बेसमेंट की अनुमति ली जाती है। बाकी अवैध रूप से बनते हैं और ये खेल चल रहा है। इससे सरकार को राजस्व का ही नुकसान नहीं हो रहा है बल्कि आसपास के लोगों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

इतनी बड़ी घटना…यूआईटी ने जांच तक नहीं की

गुरुवार को शहर की जाट कॉलोनी में बेसमेंट की खुदाई करते समय पड़ोसी का मकान जमींदोज हो गया। बड़ा हादसा टल गया। बताते हैं कि न तो बेसमेंट खुदाई की अनुमति ली गई थी और न अन्य मानक पूरे थे। कायदे में यूआईटी की टीम को जाकर जांच करनी चाहिए थी। कार्रवाई होनी थी लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। यानी जो हो रहा है सब ठीक है। जनता की जान सस्ती हो गई। इसका यूआईटी से कोई सरोकार नहीं रहा।


यहां बनाए जा रहे हैं बेसमेंट
इस समय शहर के अग्रसेन पुल से लेकर भगत सिंह सर्किल तक तीन बेसमेंट के निर्माण के लिए खुदाई चल रही है। इसी तरह नेहरू गार्डन से लेकर अशोक सर्किल तक दो बेसमेंट के लिए खुदाई की गई है। जेल सर्किल से लेकर भवानी तोप मार्ग पर भी कॉमर्शियल बेसमेंट बनाने के लिए खुदाई की गई है। इसी तरह अन्य मार्गों पर भी बेसमेंट के लिए ये काम चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि अधिकांश जगहों पर बेसमेंट के मानक पूरे नहीं हैं और अनुमति भी उनके पास नहीं है। अधिकांश बेसमेंट मानकों को पूरा नहीं करते। यानी उन्हें बेसमेंट बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। क्योंकि उनका एरिया तय जगह से कम है।

बेसमेंट में केवल पार्किंग चला सकते

शहर में बेसमेंट की अनुमति यूआईटी व नगर निगम की ओर से दी जाती है। यूआईटी के पास पटरी पार वाला पूरा हिस्सा आता है। बहरोड़ मार्ग भी यूआईटी के पास है। स्कीम 10 भी यूआईटी के हिस्से में है। इसी तरह बाकी हिस्सा नगर निगम के पास है। शहर में 3 हजार से अधिक कॉमर्शियल भवनों में बेसमेंट चल रही हैं। कायदे में इन बेसमेंट का प्रयोग पार्किंग के लिए किया जा सकता है लेकिन यहां दुकानें बनाकर किराये पर दी गई हैं। आवासीय क्षेत्रों में भी 700 से अधिक बेसमेंट बनी हुई हैं। ये भी कॉमर्शियल प्रयोग में ली जा रही हैं। नियम सब दरकिनार हैं।


क्या हैं नियम

बिल्डिंग बायलॉज में इमारतों के लिए 500 वर्ग मीटर की जमीन से कम आकार वाले मकानों में बेसमेंट नहीं बनाए जा सकते। इसके नक्शे पास नहीं हो सकते। बेसमेंट में पार्किंग के अलावा किसी भी तरह की कॉमर्शिलय गतिविधियां नहीं हो सकती हैं। कॉमर्शियल इमारत में जमीन का 25 फीसदी हिस्सा पार्किंग के लिए सुरक्षित रखना अनिवार्य है। नियम ये है कि बिल्डिंग लाइन से 2-2 मीटर जगह छोड़कर ही बेसमेंट बनाया जा सकता है।


क्या कहते हैं अफसर
बेसमेंट की अनुमति देने से पहले सभी मानकों की जांच की जाती है। हमारे एरिया में जहां-जहां बेसमेंट के कार्य चल रहे हैं, उनको दिखवाया जाएगा।

– भारत भूषण गोयल, प्रभारी सचिव यूआईटी

हमारी निर्माण शाखा को जिम्मेदारी दी गई है कि वह बेसमेंट की अनुमति देने से पहले मानकों की जांच कर लें। हमारे एरिया में जहां बेसमेंट के कार्य चल रहे हैं उनकी जांच की जाती है। भवन सीज भी करते हैं।

– मनीष कुमार, आयुक्त, नगर निगम

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