इसी तरह बीए प्रथम वर्ष में 39 बंदी परीक्षा में बैठे इसमें से 7 उत्तीर्ण हुए, वहीं पीजीसीसीएल कोर्स में एक बंदी ने परीक्षा दी और वो पास हो गया, इस तरह से सीएनसीसी, सीएचआर, सीडीएम कोर्स में 17, 12 व चार बंदियों ने परीक्षा दी, ये सभी बंदी इसमें पास हो गए। सीडीएस परीक्षा में 7 परीक्षार्थी बैठे। इसमें से पांच उत्तीर्ण हुए, तो बी बीपीपी परीक्षा में 28 परीक्षार्थी बैठे व इसमें से 16 उत्तीर्ण हुए। दिसंबर 2018 में हुई परीक्षा में अंग्रेजी विषय से एमए में 1 परीक्षार्थी बैठे, एमए इतिहास में एक, बीए प्रथम वर्ष में 35, बीए प्रथम वर्ष बैक पेपर में 23, यूपीपी परीक्षा में 26, बीपीपी बैक पेपर में 15 और सीडीएम आपदा प्रबंधन प्रमाण पत्र कोर्स में 8 परीक्षार्थी बैठे। जून 2019 में होने वाली परीक्षाओं में पीजीडीटी अनुवाद में स्नाकोत्तर डिप्लोमा में 1 परीक्षार्थी, पीजीसीसीएल साइबर कानून में स्नाकोत्तर प्रमाण पत्र में 1 परीक्षार्थी, बीए प्रथम वर्ष 9 व बीए प्रथम वर्ष पेपर में 36 बंदी परीक्षार्थी बैठेंगे। जेल प्रशासन की तरफ से बंदियों को हर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं, इसलिए ज्यादा से ज्यादा बंदी परीक्षा में बैठ रहे हैं। ऐसे में अलवर केन्द्रीय कारागृह में कई बंदी अपनी जिंदगी बदल रहे हैं। इससे पूर्व भी एक बंदी ने अलवर जेल में अन्य बंदियों को अंग्रेजी बोलना भी सिखाया था।