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panchayat elections In Rajasthan ) प्रदेश में आगामी जनवरी-फरवरी में पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। चुनावों की घोषणा 15-20 दिन में होने की संभावना है। ग्राम पंचायत व पंचायत समितियोंका परिसीमन व पुनर्गठन कार्य पूरा हो चुका है। इसके चलते पंचायत चुनाव में पार्टियों व चुनाव लडऩे की तैयारी में जुटे दावेदारों का गणित गड़बड़ाना तय है। यही चिंता प्रमुख पार्टियों व चुनाव लडऩे के इच्छुक लोगों की है।
राजनीति में पंचायत चुनाव महत्वपूर्ण राजनीति में सबसे निचली कड़ी होने के कारण पंचायत चुनाव कांग्रेस व भाजपा समेत अन्य प्रमुख दलों के लिए महत्वपूर्ण हैं। जिले में 578 ग्राम पंचायतों में सरपंच, उप सरपंच व पंचों, 16 पंचायत समितियों में पंचायत समिति सदस्य, प्रधान, उप प्रधान, जिला परिषद सदस्य, जिला प्रमुख व उप जिला प्रमुख आदि पदों पर चुनाव कराए जाने हैं। जिले में करीब साढ़े तीन हजार जनप्रतिनिधियों का निर्वाचन होना है।
जारी है निकाय चुनाव हार जीत का गुणा-भाग पंचायत चुनावों की चिंता कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य दलों को भी सता रही है, लेकिन इस बार निकाय चुनाव के दौरान प्रमुख दलों में हुई क्रॉस वोटिंग व भितरघात की समस्या से प्रमुख पूरी तरह उभर नहीं सके हैं। यही कारण है कि प्रमुख दलों का पूरा ध्यान अभी पंचायत चुनाव की रणनीति पर नहीं टिक पाया है। हालत यह है कि पंचायत चुनाव के लिए मतदाता सूचियों का प्रारूप प्रकाशन 4 दिसम्बर को होना है। इस अभियान में मतदाताओं के नाम जोडऩे और हटाने की प्रक्रिया होनी है। लेकिन पार्टी स्तर पर अभी इस अभियान को लेकर खास तैयारी नहीं दिखाई पड़ पाई है।
क्रॉस वोटिंग की आशंका से चितिंत जिले में पिछले कुछ समय से प्रमुख पार्टियों में चुनाव के दौरान के क्रॉस वोटिंग की परम्परा बढ़ी है। करीब पांच साल पहले जिला प्रमुख चुनाव में भाजपा खेमे में क्रॉस वोटिंग हुई, जिससे भाजपा के हाथ से जिला प्रमुख की सीट फिसल गई। वहीं पिछले दिनों अलवर समेत जिले के भिवाड़ी व थानागाजी में निकाय प्रमुख चुनाव में खूब क्रॉस वोटिंग हुई, इस कारण पार्टियों की जीती हुई बाजी हार में बदल गई।