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अलवर

सामने आया सरिस्का के सबसे ताकतवर बाघ की मौत का कारण, इस वजह से हुई थी मौत

सरिस्का के इंदौक में बाघ एसटी-11 की हुई मौत का कारण सामने आया है।

अलवरJul 11, 2018 / 09:00 am

Prem Pathak

Reason of death of sariska tiger st11

सामने आया सरिस्का के सबसे ताकतवर बाघ की मौत का कारण, इस वजह से हुई थी मौत

अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना के इंदौक गांव में गत 19 मार्च को बाघ एसटी-11 की मौत में पेरीफेरी के गांवों में गश्त, बाघ की मॉनिटरिंग, कमजोर सूचना तंत्र समेत अनेक खामियां उजागर हुई है। तत्कालीन डीएफओ ने गत दिनों मामले की जांच पूरी कर रिपोर्ट सरिस्का प्रशासन को सौंप दी है।
सरिस्का में बाघ एसटी-11 की मौत के साढ़े तीन महीने बाद तत्कालीन डीएफओ बालाजी करी ने विभागीय जांच पूरी कर रिपोर्ट सरिस्का प्रशासन को भेज दी है। बाघ की मौत के बाद सरिस्का के सीसीएफ डॉ. गोविंदसागर भारद्वाज ने मामले की जांच कर बाघ की मौत में विभागीय अधिकारी व कर्मचारियों की लापरवाही चिह्नित करने के आदेश तत्कालीन डीएफओ को दिए थे। बाद में डीएफओ करी ने मामले की गहनता से जांच की और बाघ की मौत में विभागीय खामियों की रिपोर्ट गत दिनों ही सीसीएफ को सौंपी है।
लापरवाही से बढ़ते हैं शिकारियों के हौंसले

सरिस्का में विभागीय लापरवाही का इतिहास पुराना है। वर्ष 2000 के दौर में भी विभागीय लापरवाही के चलते सरिस्का बाघों से पूरी तरह खाली हो चुका है। वहीं वर्ष 2009-10 में भी कुछ ऐसे ही कारणों से बाघ एसटी-1 को ग्रामीणों ने जहर देकर मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद गत फरवरी में बाघिन एसटी-5 लापता हो गई, जो कि अब तक नहीं मिल पाई है। वहीं गत 19 मार्च को इंदौक में बाघ एसटी-11 की खेत में लगे फंदे में फंसने से मौत हो चुकी है। इसके अलावा सरिस्का में औसतन हर माह एक घटना शिकार की होती रही है।
जांच रिपोर्ट में उजागर हुई लापरवाही

जांच के दौरान सरिस्का में पेरीफेरी क्षेत्रों में गश्त सही तरीके से नहीं होने, बाघ की मॉनिटरिंग में लापरवाही बरतने, विभागीय कर्मचारियों की ओर से पेरीफेरी के गांवों में नहीं जाना, सूचना तंत्र बेहद कमजोर होना सहित अनेक लापरवाही उजागर हुई है। साथ ही सरिस्का क्षेत्र में खेतों में लगे फंदे व बिजली के तारों की जांच नहीं करने की खामी सामने आई है। इन्हीं खामियों के चलते बाघ एसटी-11 की खेत में लगे फंदे में फंसकर जान गई।
किसको पाया लापरवाही का दोषी

विभागीय नियमों के अनुसार जंगल में सही तरीके से गश्त होने, बाघ की मॉनिटरिंग बेहतर ढंग से करने, खेतों में लगे फंदों व बिजली के तारों की जानकारी उचित समय पर देने सहित अन्य सतर्कता की जिम्मेदारी बीट से जुड़े एसीएफ, रेंजर, वनपाल व बीट गार्ड की रहती है। जांच में इन खामियों के लिए सरिस्का सदर के एसीएफ, रेंजर, वनपाल व बीट गार्ड को दोषी ठहराया गया है। हालांकि जांच में दोषी पाए गए सरिस्का के अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ अभी कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन जल्द ही होने की उम्मीद है।
जांच रिपोर्ट में बाघ की मॉनिटरिंग में कर्तव्य का सही तरह पालन नहीं करने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी, वहीं उनकी बात भी सुनी जाएगी। किसी को भी बिना वजह परेशान नहीं किया जाएगा।
डॉ. गोविंदसागर भारद्वाज, सीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना
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