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अलवर

सावधान! आगे पैंथर है, सुबह की सैर पर संभल कर जाएं

अलवर. यदि आप बालाकिला क्षेत्र में सुबह या शाम की सैर पर जा रहे हैं तो सावधान? बालाकिला क्षेत्र में पैंथर की मौजूदगी से सैर या धार्मिक स्थलों पर जाने वाले लोगों को खतरा हो सकता है।

अलवरJun 15, 2020 / 12:02 am

Prem Pathak

सावधान! आगे पैंथर है, सुबह की सैर पर संभल कर जाएं

सावधान! आगे पैंथर है, सुबह की सैर पर संभल कर जाएं

अलवर. यदि आप बालाकिला क्षेत्र में सुबह या शाम की सैर पर जा रहे हैं तो सावधान? बालाकिला क्षेत्र में पैंथर की मौजूदगी से सैर या धार्मिक स्थलों पर जाने वाले लोगों को खतरा हो सकता है। बालाकिला क्षेत्र में पैंथर को आसपास के लोग साफ तौर पर देख भी चुके हैं, वहीं दो दिन पहले बालाकिला में रात के समय पैंथर दीवार फांदकर पालतू श्वान का शिकार भी कर चुका है। इतना नहीं सरिस्का के अलवर बफर क्षेत्र में पिछले कई दिनों से दो बाघ भी टैरिटरी की तलाश में घूम रहे हैं।
अलवर शहर के समीप स्थित बाला किला, किशनकुण्ड व आसपास का क्षेत्र सरिस्का के बफर जोन में शामिल हैं। सरिस्का का क्षेत्र होने से यहां का जंगल आकर्षक होने के साथ ही एकांतमय है। यही कारण है कि लंबे समय से बफर जोन के समीप रहने वाले लोग सुबह व शाम के समय बड़ी संख्या में बाला किला, किशनकुण्ड क्षेत्र में पैदल सैर करने जाते रहे हैं।
पहले नहीं था ज्यादा खतरा

अलवर बफर जोन में पहले पैंथर, बाघ या अन्य मांसाहारी वन्यजीवों की संख्या नगण्य का कम थी। इस कारण सैर पर जाने वाले लोगों के लिए क्षेत्र में वन्यजीवों का खतरा ज्यादा नहीं था। पिछले कुछ समय से बाला किला, किशनकुण्ड क्षेत्र में पैंथरों के मौजूद होने से अब वहां सैर पर जाने वाले लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है। बफर क्षेत्र में अब प्रतापबंध के आगे तक व किशनकुण्ड के पास तक पैंथरों की आवाजाही साफ तौर पर दिखाई देने लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सुबह व शाम की सैर पर जाने वाले लोगोंं को परेशानी बढ़ सकती है।
कई दिनों से पैंथर बना कौतूहल

पिछले कई दिनों से अलवर बफर जोन स्थित प्रतापबंध, बालाकिला जंगल, सागर के पीछे, अंधेरी, निदानी का जंगल, माच का तिराहा, आरापाडा मंदिर के सामने जम्मू साणा, फायरिंग रेंज के पीछे, मंशा माता के ऊपर पहाड़ी क्षेत्र में करीब 10 से 15 पैंथरों की शावकों के साथ मौजूदगी है। पूर्व में मंशा माता के ऊपर पहाड़ी, जयपोल आदि स्थानों पर मादा पैंथरों को शावकों के साथ देखा भी जा चुका है। वहीं अंधेरी टूरिस्ट ट्रैक के अंतिम छोर चौड की हौदी, शिकारगाह सहित अन्य स्थानों पर पैंथरों के पगमार्क भी आसानी से देखे गए हैं।
सिलीसेढ़ के जंगल में बाघ भी

अलवर बफर जोन के सिलीसेढ़ जंगल में पिछले करीब तीन महीनों से बाघ एसटी-18 व बाघिन एसटी-19 की मौजूदगी भी रही है। हालांकि ये बाघ-बाघिन अलग-अलग हैं और अपनी टैरिटरी तलाश रहे हैं। बाघों के चलते पैंथर भी जगह छोडकऱ इन दिनों बाला किला, अंधेरी क्षेत्र में आ गए हैं। दोनों बाघ-बाघिन युवा हैं, जो अलवर बफर जोन को पर्यटकों के लिए नई ऊंचाई भी दे सकते हैं।
धार्मिक स्थलों पर भी रहती आवाजाही

बालाकिला क्षेत्र में करणीमाता मंदिर, चक्रधारी हनुमान मंदिर, तोप वाले हनुमान मंदिर सहित अनेक धार्मिक स्थल हैं। इन धार्मिक स्थलों पर लोगों की आवाजाही रहती है। पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में पैंथरों की मूवमेंट बढऩे से खतरा भी हो सकता है। वहीं दो पहिया वाहनों पर जाने वाले लोगों के लिए भी इस क्षेत्र में पैंथरों की मौजूदगी खतरे का अलार्म है।
जंगल में बायोडायवर्सिटी पार्क में करें भ्रमण

अलवर बफर जोन में पैंथर व बाघों के विचरण करने के कारण लोगों को सावचेत कर जंगल के बजाय बायोडायवर्सिटी पार्क में भ्रमण के लिए जागरुक किया जा रहा है। क्षेत्र में वन्यजीवों के विचरण व आमजन को सावधानी बरतने के बोर्ड लगवाए जा रहे हैं। लोगों को सैर के लिए जंगल में जाने से बचना चाहिए।
घनश्याम प्रसाद शर्मा

सीसीएफ, सरिस्का बाघ परियोजना

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