वर्ष 2005 में बाघ विहिन होने के बाद सरिस्का को पुनर्जीवित करने में बाघ एसटी-13 की बड़ी भूमिका रही है। रणथंभौर से सरिस्का में बाघों के पुनर्वास के बाद भी लंबे समय तक कुनबा नहीं बढ़ पाया था। वही बाघ एसटी-1 की जहर से मौत होने के कारण सरिस्का में बाघों की वृद्धि को लेकर सवालिया निशान लग गया था। ऐसे में रणथंभौर से आई बाघिन एसटी-2 के बेटे बाघ एसटी-13 ने सरिस्का में बाघों कुनबा बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई है। और तीन बाघिनों के सम्पर्क से 13 शावकों को जन्म दिया। हालांकि तीन शावकों की अकाल मौत हो गई, लेकिन अब भी सरिस्का में जिंदा है। बाघ एसटी-13 की उम्र 5-6 साल है, इस कारण सरिस्का की इस बाघ पर अभी काफी उम्मीद जिंदा है।
तीन बाघिनों के सम्पर्क रहा बाघ एसटी-13 बाघ एसटी-13 सरिस्का में तीन बाघिनों के सम्पर्क में रहा है। यह बाघ बाघिन एसटी- 10 के संपर्क में आया। बाद में बाघिन एसटी-10 ने एक बार तीन शावक व दूसरी बार एक शावक को जन्म दिया। एक बार तीन शावकों को भी जन्म दिया, लेकिन उनकी मौत हो गई। वहीं यह बाघ बाघिन एसटी-12 के संपर्क में आया। बाद में बाघिन एसटी- 12 ने दो बार तीन-तीन शावकों को जन्म दिया। इसके अलावा बाघ एसटी- 13 व बाघिन एसटी- 14 के सम्पर्क में आया, जिससे बाघिन एसटी- 14 ने तीन शावकों को जन्म दिया। इस तरह बाघ एसटी- 13 सरिस्का में अब तक 13 शावकों का जन्मदाता माना जाता है। इनमें से कुछ का नामकरण भी हो चुका है।
चहलकदमी का है शौकीन बाघ एसटी-13 घूमने- फिरने का शौकीन है। यह बाघ सरिस्का से बाहर निकलकर राजगढ़ वन क्षेत्र में एक साल से ज्यादा समय तक रह चुका है। वहीं मेगा हाइवे व रेलवे ट्रैक पार कर गुढ़ा कटला जा कर वापस सरिस्का में आ चुका है। इन दिनों वह सरिस्का में रहकर बाघों का कुनबा बढ़ाने में सहायक बन रहा है।
अकेले बाघ एसटी- 13 का कॉलर कर काम सरिस्का में वर्तमान में केवल बाघ-13 का रेडियो कॉलर काम कर रहा है। बाघ एसटी- 13 कई बार सरिस्का से बाहर निकल चुका है, इस कारण सरिस्का प्रशासन के लिए बाघ एसटी-13 की लोकेशन की जानकारी होना जरूरी है। सरिस्का प्रशासन को रेडियो कॉलर से 24 घंटे पुरानी लोकेशन जीपीएस की मदद से मिलती है। इसकी मॉनिटरिंग में 24 घंटे वन विभाग की एक टीम रहती है, जो इसकी लोकेशन व हलचल पर नजर रखती है।