खुले में शौच जाने वालों से भी रुबरू करा दिया गया। इन सबसे बचने के लिए यह कोशिश है कि सर्वे टीम के आने की जानकारी नहीं दी जाए। हालांकि परिषद के कुछ अधिकारी यही बता रहे हैं कि सर्वे टीम अलवर नहीं पहुंची है। वैसे जब भी टीम आएगी सफाई का सर्वे करेगी। इन दिनों में आपको कहीं भी कोई टीम सर्वे करती दिखे तो यह जानने का आपका अधिकार है। आप उनसे पूछे फिर असलियत भी बताएं। ताकि सही तस्वीर सामने आए। तभी नगर परिषद प्रशासन के स्तर पर सुधार के प्रयास होंगे। यदि खराब हालात के बावजूद सर्वे रिपोर्ट अच्छी बन कर गई तो फिर आगे सुधार के अवसर खत्म हो जाएंगे।
पहले ३४५, ३५४ व ३७६वें नम्बर पर, अब चौथी बार… देश भर में चल रहे स्वच्छता सर्वे में पहली बार २०१६ में अलवर शहर ३४५, २०१७ में ३५४ व २०१८ में ३७६ वें नम्बर पर लुढक़ता ही गया। अब चौथी बार सर्वे करने के लिए टीम अलवर आएगी। वैसे पिछले तीन सर्वे के समय की तुलना में अब सफाई के हालात कुछ सुधरे हैं। लेकिन अनेक खामियां है। कचरा निस्तारण का बंदोबस्त कुछ नहीं है। कचरा अभी भी कई जगहों पर जलता है। पूरा शहर ओडीएफ है। लेकिन खुले में शौच जाने वाले आमतौर पर दिख जाते हैं। सामुदायिक शौचालयों के हालात ठीक नहीं हैं। इन सब पर नजर पड़ी तो पोल खुल सकती है। वैसे कागजी रिकॉर्ड पर तो कचरा निस्तारण के अलावा सभी व्यवस्था सुचारू हैं।
करीब १५ करोड़ रुपया खर्च भी कागजी रिकॉर्ड पर जाएंगे तो स्वच्छ भारत अभियान के तहत नगर परिषद ने करीब १२ से १५ करोड़ रुपया खर्च कर दिया। घर-घर शौचालय बनवाने, कचरा संग्रहण वाहन खरीदने, सामुदायिक शौचालय बनवाने जैसे कार्यों पर अधिक पैसा खर्च किया गया है।
नगर परिषद के कुछ अधिकारी व कर्मचारियों ने कहा कि अभी सर्वे टीम नहीं आई है। कुछेक ने यह भी बताया कि गुपचुप सर्वे कराने की तैयारी है। टीम कभी भी आ सकती है। एेसा भी हो सकता है कि टीम आ चुकी हो।