शहरी क्षेत्र के लिए 8 टीम बनाई गई हैं। इन टीमों ने शनिवार को 14 स्कूलों के पांच हजार 844 बच्चों को कवर किया। इसमें 222 बच्चें बीमार मिले हैं। इनको मौके पर जरूरी दवा दी गई है व
राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के लिए रैफर किया गया है। अस्पताल में बच्चों की जरूरी जांच कराई जाएगी। जांच रिपोर्ट के आधार पर बच्चों का इलाज शुरू होगा। इसी तरह से स्कूल, होस्टल, कॉलेज के बाद डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। शहरी क्षेत्र की तरह ग्रामीण क्षेत्रों में एएनएम व स्वास्थ्य विभाग की टीम सर्वे कर रही है। इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। जिसमें हर रोज नए चिकित्सकों को तैनात किया जाएगा। चिकित्सक स्वाइन फ्लू से संबंधित मरीजों को देखेंगे। अस्पताल में स्वाइन फ्लू से निपटने की सभी सुविधाएं मौजूद हैं।
ठंड के मौसम में स्वाइन फ्लू अधिक तेजी फैलता है। ऐसे में इन्फेक्शन से बचने की जरूरत है। थोड़ा भी लक्षण सामने दिखाई देने पर टेमीफ्लू की टेबलेट 5 दिन तक दी जाती है। जिसका असर 6 माह तक रहता है। स्वाइन फ्लू की जांच
जयपुर में कराई जाती है। कोई भी मरीज ठंड या वायरल से पीडि़त आता है और उसमें प्रारंभिक लक्षण लगते हैं, तो उसे टेमी फ्लू की टेबलेट दी जाती है।
अब तक के हालात जिले में स्वाइन फ्लू के अब तक 10 पॉजीटिव मरीज मिल चुके हैं। जबकि एक मरीज की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अब तक 18 लोगों के ब्लड सैम्पल जांच के लिए जयपुर लैब में भेजे गए हैं।
शहर में सर्वे शुरू हो गया है। सर्वे के दौरान बीमार मिलने वाले मरीजों को दवा दी जाती है व अस्पताल के लिए रैफर किया जाता है। वहां उनकी जांच होगी। तो दूसरी तरफ आउट डोर में आने वाले संदिग्ध मरीजों पर भी नजर रखी जा रही है।
डॉ. भगवान सहाय, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, अलवर