अलवर में है करीब 11 हजार टीबी के मरीज अलवर जिले में टीबी के करीब 11 हजार से ज्यादा मरीज है लेकिन उनको भर्ती करने के लिए कोई वार्ड नहीं है। मरीजों को साइकेट्रिक वार्ड के पास बने एमडीआर वार्ड में भर्ती किया जाता है ,्र लेकिन एमडीआर के मरीज इतने अधिक संख्या में आ रहे हैं कि उनको भर्ती करने के लिए वार्ड कम पड रहा है। मजबूरन सामान्य वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। गौरतलब है कि टीबी के सामान्य मरीजों को इलाज के बाद उन्हें दवा दे दी जाती है। उन्हें भर्ती की आवश्यकता कम होती है। लेकिन एमडीआर टीबी के मरीजों को करीब 10 से 15 दिन तक भर्ती करना जरुरी होता है।
बढ रहे हैें एमडीआर रोगी अलवर में वर्तमान में करीब 450 से ज्यादा एमडीआर रोगी है। टीबी अस्पताल में प्रतिदिन करीब 90 से ज्यादा मरीज आ रहे हैं। इसमें प्रतिदिन करीब 5 से 7 रोगी एमडीआर के आ रहे हैं। जबकि एमडीआर के पहले एक या दो ही मामले सामने आते थे। अलवर में पहले सीबीनॉट मशीन से जांच की सुविधा नहीं थी इसलिए एमडीआर मरीजों की पहचान नहीं हो पा रही थी। लेकिन टीबी अस्पताल में सीबीनॉट मशीन के आने के बाद जांच अधिक होने से मरीजों की संख्या भी बढ़ गई है।
मास्क लगाने से मिलती है राहत टीबी रोग के विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य टीबी रोगी व एमडीआर टीबी रोगी यदि अपने मुंह पर मास्क लगाकर रखता है तो इस रोग के संक्रमण की संभावना कम रहती है। इसके साथ ही यदि इनका इलाज करने वालों को भी मास्क लगाकर रखना चाहिए । एमडीआर रोगी दवा की एक खुराक लेने के बाद संक्रमण से मुक्त हो जाते हैं।
शीघ्र होगा व्यवस्था में सुधार
पूर्व में जिला मुख्यालय पर टीबी अस्पताल संचालित होता था, इसे बंद कर दिया गया है। वर्तमान में सामान्य चिकित्सालय में ही एमडीआर मरीज को भर्ती किया जा रहा है, एमडीआर वार्ड बनाया गया है। लेकिन वहां जगह कम होने पर मेल वार्ड में भी अस्थाई व्यवस्था की गई है। शीघ्र ही इस व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है।
डाक्टर सुशील बत्रा, डिप्टी सीएमएचओ, अलवर।
पूर्व में जिला मुख्यालय पर टीबी अस्पताल संचालित होता था, इसे बंद कर दिया गया है। वर्तमान में सामान्य चिकित्सालय में ही एमडीआर मरीज को भर्ती किया जा रहा है, एमडीआर वार्ड बनाया गया है। लेकिन वहां जगह कम होने पर मेल वार्ड में भी अस्थाई व्यवस्था की गई है। शीघ्र ही इस व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है।
डाक्टर सुशील बत्रा, डिप्टी सीएमएचओ, अलवर।