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अंबाला

दिल्ली से आए अधिकारी,बजट की बताई बारीकियां। आप भी जानें

हरियाणा के विधायकों को पढ़ाया विधायी कार्यों व बजट प्रक्रिया का पाठ।लोकसभा अधिकारियों ने ओरियंटेशन प्रोग्राम में दी जानकारी।

अंबालाJan 22, 2020 / 06:15 pm

satyendra porwal

दिल्ली से आए अधिकारी,बजट की बताई बारीकियां। आप भी जानें

दिल्ली से आए अधिकारी,बजट की बताई बारीकियां। आप भी जानें

चंडीगढ़. हरियाणा विधानसभा के सभा कक्ष में आयोजित ओरियंटेशन प्रोग्राम के पहले दिन के दूसरे सत्र के दौरान बुधवार को विधायकों को विधायी एवं बजट प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डïा समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के अधिकांश सदस्य मौजूद थे। इस अवसर पर दर्शक दीर्घा में सांसद धर्मवीर सिंह, बृजेंद्र सिंह और डी.पी. वत्स भी उपस्थित थे।
विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से जानकारी
लोकसभा सचिवालय के निदेशक विनय कुमार मोहन ने विधायकों को विधायी एवं बजट प्रक्रिया की बारीकियों से अवगत करवाते हुए कोरम, वोटिंग, विधेयक के पुरास्थापन और विधेयक पर चर्चा समेत विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से जानकारी दी। विनय कुमार मोहन ने कहा कि विधायिका का महत्वपूर्ण कार्य कानून बनाना और कानून में संशोधन करना है।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो हर सदस्य को कोरम का पता होना चाहिए, क्योंकि कोरम पूरा न होने पर सीटिंग वैध नहीं होगी। किसी विधेयक को सदन में रखे जाने के बाद अध्यक्ष सदस्यों से हां या नहीं के बारे में पूछते हैं, उस समय विपक्ष का कोई भी सदस्य मतदान की मांग कर सकता है। उन्होंने कहा कि हर विधेयक में इसके उद्देश्य और कारणों का विवरण होता है। यदि किसी विधेयक में यह विवरण नहीं है तो यह अनियमितता होगी।
सिलेक्ट कमेटी या ज्वांइट कमेटी
इसी तरह, हर विधेयक में वित्तीय ज्ञापन भी होगा। लोकसभा सचिवालय के निदेशक ने कहा कि यदि अध्यक्ष चाहे तो विधेयक को सिलेक्ट कमेटी या ज्वांइट कमेटी को भी भेज सकता है और सिलेक्ट कमेटी कोई संशोधन करती है तो इसे मानना अनिवार्य है। विनय कुमार मोहन ने विधायकों को बजट प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं और कर प्रस्ताव रखते हैं। बजट जिस दिन पेश किया जाता है, उस दिन इस पर चर्चा नहीं होती। खर्चा अधिक होने पर या बजट के समय प्रावधान न होने पर अनुपूरक मांग भी रखी जा सकती है। सभी मांगें रखने, चर्चा होने और पारित होने के बाद एप्रोप्रियेशन बिल लाया जाता है।

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