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अम्बेडकर नगर

यहां तो राजस्व विभाग अनुसूचित जाति के मंझवार को बना दिया पिछड़ी जाति का केवट मल्लाह

यहां तो राजस्व विभाग अनुसूचित जाति के मंझवार को बना दिया पिछड़ी जाति का केवट मल्लाह

अम्बेडकर नगरJun 12, 2018 / 04:47 pm

Ruchi Sharma

ambedkar nagar

यहां तो राजस्व विभाग अनुसूचित जाति के मंझवार को बना दिया पिछड़ी जाति का केवट मल्लाह

अम्बेडकर नगर. जिले के टांडा तहसील क्षेत्र में राजस्व विभाग द्वारा किये गए गोराख धंधे का बड़ा कारनामा सामने आया है। इस तहसील के राजस्व ग्राम मुबारक पुर में हाईकोर्ट के आदेश पर तहसील से जारी मंझवार जाति का प्रमाण पत्र जारी किया था, जो अनुसूचित जाति के अंतर्गत माने गए थे, लेकिन अब इस जाति के तीन दर्जन से अधिक लोगों का नाम केवट मल्लाह बताते हुए तहसील से पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है, जिसके बाद मंझवार समुदाय के लोगों में हड़कम्प मच गया है। मंझवार समुदाय के अधिकांश लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। टांडा तहसील से होकर गुजरने वाली घाघरा नदी के किनारे बसने वाली इस जाति के लोगों का मुख्य पेशा नदी में मछली पकड़ना, नदी के रेत में खेती करना और मजदूरी करना है।
आर्थिक और शौक्षिक रूप से बहुत कमजोर हैं इस जाति के लोग

खुद को मंझवार बताने वाले इस जाति की आर्थिक व शैक्षिक हालात बहुत ही खराब है। इस जाति में कुछ लोग तो नौकरी पेशा और राजनीति में अपना परचम तो जरूर लहराए हैं, लेकिन अधिकांश परिवार बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहा है। सरकार की तरफ से गरीबों और अनुसूचित जाति के लिए चलाई जा रही योजनाओं का लाभ इन लोगों को इसलिए नहीं मिल पाता है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर इस समुदाय के लोगों को राजस्व विभाग मंझवार जाती का ही मानने को तैयार नहीं है।
इस तरह रची गई साजिश

टांडा तहसील 1995 से पूर्व फैज़ाबाद जिले का हिस्सा हुआ करता रहा है और 1990 के पहले इस जाति के लोगों का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी होता रहा है, लेकिन 1990 के दरम्यान कुछ अधिकारियों ने इस जाति के लोगों को मंझवार मानने से इनकार करते हुए अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया, जिसके बाद से ही यहां के मंझवार समुदाय के लोगों की स्थिति बिगड़ती गई। इस समुदाय के कुछ सक्षम लोग इस मामले लेकर है कोर्ट गए, जहां हाई कोर्ट ने इनके पक्ष में आदेश पारित किया और उसके बाद तहसील प्रशासन ने हाई कोरी जाने वालों का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी तो कर दिया, लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों का प्रमाण पत्र नहीं जारी किया। हालांकि कई सक्षम लोग उसके बाद भी लगातार हाईकोर्ट जाकर वहां से आदेश लाते रहे और अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र तहसीलदार जारी करते रहे।
इस तरह बड़ी संख्या में जारी हुआ प्रमाण पत्र

टांडा तहसील में वर्ष 2016 में तत्कालीन तहसीलदार ने एक विस्तृत जांच कराकर इस समुदाय के सैकड़ों लोगों का अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया था, जिसका आधार हाईकोर्ट के आदेश और शासन द्वारा पारित आदेश रहा है, लेकिन दो साल बीतने के बाद अब तहसील ने एक बार फिर इन लोगों के साथ एक बड़ा धोखा करते हुए तीन दर्जन से अधिक लोगों को केवट और मल्लाह बताते हुए अन्य पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया है।
ये लग रहे हैं आरोप

खुद को मंझवार समुदाय का बताने वाले इन लोगों का आरोप है कि राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए प्रशासन में बैठे लोग उनका जाति प्रमाण पत्र जारी करने में बाधा पैदा कर रहे हैं और इसी आधार पर उनके साथ इस तरह की साजिश रची गई है। कुछ लोगों ने बताया कि नगर पालिका टांडा में प्रधानमंत्री आवास योजना की स्कीम आई थी, जिसके लिए आय और निवास प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी, जिसके लिए वे लोग जनसेवा केंद्र पर आवेदन किये बगैर एक साथ दर्जन लोगों का जाति प्रमाण पत्र बना कर उन्हें पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
मुख्यमंत्री समेत उच्चाधिकारियों से शिकायत के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई

प्रशासन की इस कार्रवाई से पीड़ित लोगों ने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी, मंडलायुक्त और मुख्यमंत्री तक से की। यहां तक कि इन लोगों के वार्ड के नगर पालिका सदस्य आशीष यादव भी इन लोगों को काफी पहले से जानते हुए मंझवार जाति का होना बताया है, लेकिन इसके बाद भी स्थानीय प्रशासन इनकी शिकायतों को गुमराह करने वाली रिपोर्ट लगाकर शिकायत का निस्तारण करवा दे रहा है।

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