इस दौरान ही बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया कि शहर में चलने वाले टेंपो से निकलने वाले धुंए के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। वहीं शहर की यातायात व्यवस्था भी बिगड़ रही है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है।
इसको देखते हुए अलवर तरह यहां भी चौपहिया वाहन चलाए जाएं। जिससे टेंपो से मुक्ति मिल सके और टेंपो को शहरी क्षेत्र से बाहर किया जाए। इस प्रस्ताव पर जिला कलक्टर ने परिवहन अधिकारी को अलवर से इसकी जानकारी लेने व एेसे वाहन चलाने के लिए तैयारी करने के निर्देश दिए।
यही मुद्दा गुरुवार को एडीएम सिटी वीरेन्द्र वर्मा, नगरपरिषद आयुक्त सुनीता चौधरी व यातायात प्रभारी सुशील कुमार की बैठक में भी उठा।
जहां अधिकारियों ने शहर में टेंपो को हटाकर चौपहिया वाहन चलाए जाने के लिए कहा और पत्रिका की ओर से दिए गए गंगा वाहिनी के नाम पर मुहर लगा दी। अधिकारियों ने बैठक में कहा कि यहां चलने वाले चौपहिया वाहनों का नाम गंगा वाहिनी रखा जाएगा।
केवल टेंपो चालकों को ही मिले वाहिनी अलवर में जब टेंपो को बाहर किया गया तो जिला कलक्टर के निर्देश पर यूनियन ने वाहिनी कंपनियों से समझौता किया और टेंपो की रेट फिक्स कर दी।
टेंपो से मिली राशि को कंपनियों ने एडवांस के तौर पर जमा कर वाहिनी दी। परिवहन विभाग की ओर से भी उन्हीं वाहिनी को परमिट दिए गए, जिन्होंने अपने पुराने टेंपो बेचकर नई वाहिनी खरीदी और जो सालों से शहर में टेंपो चला रहे थे।