औंधे मुंह गिर गए सब्जियों के दाम, ताजा रेट जानकर रह जाएंगे हैरान
अंबेडकर नगर. कोरोना महामारी के कारण देश मे लगाए गए लॉक डाउन के कारण देश का न सिर्फ औद्योगिक ढांचा चरमरा गया है और अर्थ व्यवस्था चौपट नजर आ रही है, बल्कि सबसे खराब हालत खेती किसानी की हो गई है। लॉक डाउन के दौरान ही जब किसानों की गेंहूं की फसल तैयार होने वाली थी, उसी बीच कई बार के आंधी तूफान ने गेंहूँ की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया और जब जब कड़ी मेहनत और लगन से किसान कैश फसल के रूप में सब्जी की फसल तैयार की तो उसके सामने बाजार का ऐसा भाव है, जिसको सुनकर कोई विश्वास नही करेगा।
कौड़ी के दाम बिक रहीं सब्जियां अम्बेडकर नगर जिले में इस सीजन में प्रमुख रूप से भिंडी, तरोई, लोभिया हरा मिर्च, लौकी, कोंहड़ा, तरबूज, खीरा समेत कई ऐसी अन्य सब्जियां पैदा की जाती हैं, जिसकी खपत अम्बेडकर नगर के अलावा आसपास के कई जिलों में होने के कारण अच्छे भाव से ये सब्जियां बिकती रही हैं, लेकिन जिस समय लॉक डाउन लगाया गया, उसी समय इन सब्जियों के फसल का उत्पादन शुरू हुआ और शुरुआत में इन सब्जियों की कीमत 40-50 रुपये प्रति किलो से लेकर 70-80 रुपये प्रति किलो रही। शादी विवाह में भी सब्जियों की बड़ी खपत होती रही, लेकिन लॉक डाउन के कारण एक जिले से दूसरे जिले और एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश के आवागमन बन्द होने के साथ साथ शादी विवाह और अन्य कार्यक्रमों पर रोक, रेस्टोरेंट व ढाबों पर रोक होटलों में रोक जैसे तमाम ऐसे कारण बने कि किसानों की सब्जियों के भाव औंधे मुंह गिर गया। हालत इतनी बदतर है कि इस सीजन की भिंडी एक रुपये 2 रुपये किलो के भाव, तरोई लोभिया 3 से 4 रुपये किलो, बैगन टमाटर प्याज 10 रुपये किलो तक, खीरा ककड़ी, तरबूज किसी भाव नही कोई पूंछ रहा है।
किसान हो जाएगा भुखमरी का शिकार सब्जियों के बिगड़े भाव की हालत जानने के लिए जिले के टांडा की थोक सब्जी मंडी में पहुंच कर जब किसानों से जानकारी की गई तो उनके दर्द को सुनने के बाद ऐसा लगा कि जिस कोरोना से बचाव के लिए सरकार इतने प्रयास कर रही है, अगर बाजार के भाव को जल्द ही काबू में करते हुए किसान और ग्राहक के बीच भाव की असमानता को अगर जल्द ही दूर नही किया गया तो अन्नदाता के रूप में जाना जाने वाला किसान खुद ही भुखमरी का शिकार हो जाएगा। सब्जी मंडी में अपने खेत की भिंडी की फसल लाने वाले राम पाल मौर्य ने बताया कि भिंडी की मौजूदा कीमत से गांव से सब्जी मंडी तक ढुलाई का भी खर्च नही निकल पा रहा है। उनक्त कहना है कि इस भाव से खेती के बीज, दवा, खाद, पानी का पैसा नही निकलने से किसान बर्बाद हो जाएगा। किसान विजय प्रकाश का कहना है कि सब्जी के इसी फसल के भरोसे प्रत्येक किसान के घर शादी विवाह, बच्चों की पढ़ाई और खेती की जरूरतों को पूरा किया जाता है, लेकिन जो भाव मिल रहा है उससे तो बैंक से लिया गया लोन ही बढ़ता जाएगा। विजय प्रकाश इसके लिए समाज की मौका परस्ती को जिम्मेदार मानने के साथ सरकार को किसानों के हित की रक्षा करने के लिए आवश्यक कदम उठाकर इस असमानता पर नियंत्रण करने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। आढ़त चलाने वाले रमेश मौर्य बताते है कि ऐसी हालत उन्होंने कभी नही देखी। उन्हीने बताया कि कई बार किसान मजबूर होकर अपनी सब्जी मंडी में ही छोडकर वापस चला जाता है।