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अंबिकापुर

Breaking News : 8 माह की गर्भवती छात्रा से डांस कराने वाले बीएड कॉलेज के प्राचार्य की गई कुर्सी

संत हरकेवल शिक्षा महाविद्यालय की शिक्षण समिति ने की कार्रवाई, जांच होने तक प्रभारी प्राचार्य होंगी कृष्णा दुबे

अंबिकापुरApr 11, 2018 / 08:43 pm

rampravesh vishwakarma

B.Ed College

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अंबिकापुर. संत हरकेवल शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अंजन सिंह को संत हरकेवल शिक्षण समिति ने बुधवार को प्राचार्य पद से पृथक कर दिया और प्रभारी प्राचार्य के रूप में कृष्णा दुबे का जिम्मेदारी दी गई है। मामले की शिकायत विद्यार्थियों के माध्यम से आने के बाद पत्रिका समाचार पत्र में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया गया, जिसका असर रहा कि तीन-तीन जांच समितियां गठित हो गईं और अंतत: प्राचार्य को पद से हटा दिया गया।
प्राचार्य के खिलाफ कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने विभिन्न प्रकार की अवैध उगाही की शिकायत की थी। वहीं 8 माह की गर्भवती छात्रा से डांस कराने के मामले में कलक्टर से शिकायत की गई थी।

संत हरकेवल शिक्षण समिति ने महाविद्यालय की अनियमितता और प्राचार्य की शिकायतों को ले कर कई बैठकें कीं। बैठक के दौरान प्राचार्य से २७ मार्च को शिकायतों पर स्पष्टीकरण मांगा गया था। डॉ. अंजन सिंह ने पत्र क्रमांक ८७१ का जवाब २ अप्रैल को दिया। डॉ. अंजन सिंह के जवाब और स्पष्टीकरण से शिक्षण समिति संतुष्ट नहीं हुई।
शिक्षण समिति ने जवाब और स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में जांच कराने का निर्णय लिया है। जांच को किसी भी स्तर से प्रभावित नहीं किया जा सके इसके लिए समिति ने प्राचार्य अंजन सिंह को उनके पद से पृथक कर दिया।
अब प्रभारी प्राचार्य के रूप में कृष्णा दुबे काम करेंगी। बैठक के दौरान संत हरकेवल समिति के अध्यक्ष त्रिलोचन बाबरा, अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, हुकुम सिंह व संत अनुसूइया दास उपस्थिति रहे।


तीन सदस्यीय जांच टीम गठित
संत हरकेवल शिक्षा महाविद्यालय और प्राचार्य के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए संत हरकेवल शिक्षण समिति ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है। समिति में राजू अग्रवाल, त्रिलोचन सिंह, हुकुम सिंह को शामिल किया गया है।
यह रहा घटनाक्रम
28 फरवरी को संत हरकेवल शिक्षा महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने गोपनीय पत्र के माध्यम से कमिश्नर, सरगुजा विश्वविद्यालय के कुलपति, कलक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी तथा राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद से शिकायत।
4 मार्च को प्रथम बार पत्रिका समाचार पत्र ने इस मामले में खबर का किया प्रकाशन।
5 मार्च को महाविद्यालय में प्राचार्य के दबाव में शिक्षक शिक्षण कार्य से रहे विरत, छात्रसंघ पदाधिकारियों के माध्यम से महाविद्यालय की साख बचाने के लिए कुलपति, कलक्टर और कमिश्नर को दिया आवेदन पत्र। आवेदन पत्र में महाविद्यालय का शुल्क, शपथ पत्र और ७९ विद्यार्थियों के हस्ताक्षर थे।

7 मार्च को सरगुजा विश्वविद्यालय हुआ सख्त। कमेटी पर कसा शिकंजा, तीन सदस्यीय जांच टीम गठित।
11 मार्च को तीन सदस्यीय जांच टीम ने विद्यार्थियों, शिक्षकों से की मुलाकात। प्रश्नावली में अनियमितताओं, अवैध शुल्क का लिया जवाब।
24 मार्च को युवा कांग्रेस एवं एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं द्वारा महाविद्यालय में प्रदर्शन किया गया।
27 मार्च को कलक्टर किरण कौशल ने प्राचार्य को कलक्ट्रेट बुला कर फटकारा और शिकायतों से अवगत हुईं।
28 मार्च को सरगुजा विश्वविद्यालय की जांच कमेटी ने प्राचार्य पर लगे आरोपों की पुष्टि की। कलक्टर ने दो सदस्यीय टीम का गठन किया।

29 मार्च शपथ पत्र लिये जाने का खुलासा। पाठ्यक्रम के दौरान गर्भवती नहीं होने का लिया जाता रहा शपथ-पत्र।
30 मार्च महिला शौचालय में सेनेटरी नैपकीन पर 50 रुपये जुर्माना लेने का खुलासा। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने संज्ञान में लिया।
31 मार्च को पहले शपथ पत्र लेना और फिर जुर्माना लगाना।
3 अप्रैल को अनियमितता छिपाने विद्यार्थियों ने जबरन हस्ताक्षर कराया गया।
4 अप्रैल को कलक्टर द्वारा गठिन टीम ने प्रश्नावली में विद्यार्थियों से जवाब लिया।

5 अप्रैल की बैठक में शिक्षण समिति के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने 20 मार्च की तिथि में इस्तीफा दिया।
6 अप्रैल को प्राचार्य ने विद्यार्थियों से फिर कराया हस्ताक्षर।
7 अप्रैल को प्राचार्य ने प्रश्नावली में फिर लिया जवाब।
9 अप्रैल को नये अध्यक्ष त्रिलोचन बाबरा ने पदभार ग्रहण किया।
10 अप्रैल तक कलक्टर द्वारा गठित टीम जांच रिपोर्ट नहीं दे सकी।

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