छत्तीसगढ़ की झांकी में रामगढ़ की पहाडिय़ों में महाकवि कालीदास द्वारा रचित मेघदूत को झांकी के साथ प्रदर्शित किया जाएगा। इस झांकी में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कत्थक, ओडि़सी और भरतनाट्यम के कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।
राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ की झांकी लगातार मुख्य परेड में शामिल होती रही हैं। वर्ष 2006, 2010 एवं 2013 में राज्य की झांकी को पुरस्कृत किया जा चुका है।
सरगुजा जिले की रामगढ़ की पहाडिय़ों में स्थित है नाट्यशाला
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ की झांकी में देश की सबसे पुरानी नाट्यशाला को प्रदर्शित किया गया है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में रामगढ़ की पहाडिय़ों में स्थित यह प्राचीन नाट्य शाला 300 ईसा पूर्व की है। यहां प्राप्त शिलालेख बताते हैं कि इस नाट्यशाला में क्षेत्रीय राजाओं द्वारा नाटक और नृत्य उत्सव आयोजित किए जाते थे।
दूसरे राज्यों से कलाकार आकर यहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते थे। महाकवि कालीदास ने अपने प्रसिद्ध काव्य ‘मेघदूतà की रचना इसी स्थान पर की थी, जिसमें उन्होंने बादलों के माध्यम से प्रेम के संदेश को पहुंचाने का चित्रण किया है।
इतिहास बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण ने रामगढ़ की पहाडिय़ों में विश्राम भी किया था। इस दौरान उनके पांवों के निशान भी पत्थरों पर मौजूद हैं। ज्ञातव्य है कि इस वर्ष पहली बार सरगुजा जिले की रामगढ़ की पहाड़ी को गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड में छत्तीसगढ़ की झांकी में शामिल किया गया है, जो सरगुजा क्षेत्र के लिए गौरव का विषय है।