शासन ने कार्यपूर्णता का समय तो निर्धारित कर दिया लेकिन सीजीआरडीसी, पीएचई और सीएसईबी के बीच आपसी तालमेल अब तक नहीं बिठा पाया है। ठेकेदार ने विभाग को जो पत्र दिए हैं। उनको यदि आधार माना जाए तो जिस धीमी गति से काम चल रहा है उसके लिए पीएचई और सीएसईबी जिम्मेदार है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीजीआरडीसी ने पीएचई को जुलाई 2017 में ही लगभग 4 करोड़ रुपए दे दिए थे। इस राशि से पीएचई को पाइप शिफ्टिंग के काम का टेंडर निकालना था।
चौराहों पर डायवर्सन नहीं दे पा रहा ठेकेदार
सीजीआरडीसी ने रिंग रोड निर्माण के लिए जो टेंडर किया था उसके अनुसार ठेकेदार को हर चौराहों पर डायवर्सन देना था। व्यवहारिक दिक्कतों की वजह से वह डायवर्सन नहीं दे पा रहा है। इस वजह से आए दिन जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। ठेकेदार व विभाग के मध्य हुए अनुबंध के अनुसार चौक-चौराहे के निर्माण के पूर्व ठेकेदार को डायवर्सन की व्यवस्था करनी चाहिए।
घर तो तोड़े लेकिन छज्जे नहीं
रिंग रोड निर्माण के लिए प्रशासन ने घरों को तो तोड़ दिया लेकिन छज्जे छोड़ दिए थे। इन छज्जों के छोड़े जाने की वजह से सीएसइबी के ठेकेदार निर्धारित जगहों पर तय समय में खंभे नहीं लगा सके। हालांकि प्रशासन ने अपना यह अधूरा काम करके पूरा काम करने का सर्टिफिकेट भी जारी कर लिया।
धूल से जनजीवन अस्त-व्यस्त
रिंग रोड बनाने के लिए ठेकेदार गड्ढे खोद रहा है इससे शहर धूल-धूसरित हो गया है। वह इस समस्या सेे निपटने का कोई सुचारू सामाधान नहीं निकाल पा रहा है। विभागीय अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।