डीके सोनी अधिवक्ता एवं आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज तिवारी ने अंबिकापुर में बने रिंग रोड में 94 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है। बता दें कि रिंग रोड के निर्माण के लिए 70 करोड़ 60 लाख 6250 रुपए का वर्क आर्डर था और विभाग द्वारा 94 करोड़ रुपए निर्माणकर्ता ठेकेदारों को भुगतान किया जा चुका है। शासकीय राशि का गबन करने का अपराध दर्ज करने के संबंध में संलग्न ठेकेदार एवं अधिकारियों के विरुद्ध प्रथम सूचना पत्र (एफआईआर) दर्ज करने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अंबिकापुर के न्यायालय में 5000 पेजों के दस्तावेज के साथ उन्होंने परिवाद प्रस्तुत किया था।
इन पर कार्रवाई
परिवाद पर सुनवाई करते हुए रिंग रोड निर्माण में संलग्न अधिकारियों और ठेकेदार जिसमें अनिल राय एमडी सीजीआरडीए रायपुर, एस सोलंकी महाप्रबंधक, मान सिंह ध्रुव परियोजना प्रबंधक, सचिन शर्मा प्रबंधक वित्त, निशेस भट्ट आहरण व संवितरण अधिकारी, रश्मि वैश्य उप परियोजना प्रबंधक, सुनील कुमार पांडेय टीम लीडर, सुशील अग्रवाल ठेकेदार, राहुल सोनी प्रबंधक आरसी टेस्टिंग दिल्ली, शंकर अग्रवाल के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर अंतिम प्रतिवेदन 7 जनवरी 2022 तक प्रस्तुत करने का आदेश कोर्ट ने दिया है।
यह है मामला
बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता ने न्यायालय में प्रस्तुत परिवाद में 5 हजार पेजों के दस्तावेजों के आधार पर बताया था कि छत्तीसगढ़ रोड डवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड रायपुर द्वारा 10.808 किलोमीटर के रिंग रोड निर्माण हेतु श्री किशन एंड कंपनी रायपुर को ठेका दिया था। इसके बाद 70 करोड़ 60 लाख 6250 रुपए का वर्क ऑर्डर जारी किया था और कार्य पूरा करने 1 वर्ष की समय अवधि प्रदान की गई थी। रिंग रोड निर्माण प्रारंभ हुए लगभग 3 वर्ष से अधिक समय हो गया और ठेकेदार की समयावधि समाप्त हो गई। लेकिन अब तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है।
कई तरह से धांधली और घटिया निर्माण
रिंग रोड को पूरा नहीं करने के कारण ठेकेदार द्वारा गारंटी अवधि को समाप्त करने का भी खेल खेला जा रहा है। खेल कुछ इस तरह है कि जितनी गारंटी अवधि है उतना समय निर्माण कार्य में लगा दिया जाए। इससे गारंटी अवधि समाप्त हो जाएगी और जमा सिक्योरिटी राशि लेकर मामला रफा-दफा कर दिया जाएगा। उक्त कार्य श्री किशन एंड कंपनी को दिया गया है। लेकिन कंपनी द्वारा स्वयं कार्य न करके पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर सूरजपुर के ठेकेदार शंकर अग्रवाल प्रो. जगदंबा कंस्ट्रक्शन को कार्य दे दिया गया है। इसके कारण भी उक्त कार्य काफी घटिया स्तर का कराया गया है, जो ड्राइंग्स डिजाइन स्वीकृत हुई थी, उसके अनुसार कार्य नहीं किया गया है। वहीं प्रशासकीय स्वीकृति के अनुरूप जिन कार्यों को किया जाना था, उनमें से अधिकांश नहीं किए गए हैं।
वर्तमान स्थिति ऐसी है कि अभी ही रिंग रोड की हालत खराब हो गई है। रिंग रोड में विभाग द्वारा ठेकेदारों को 94 करोड़ से अधिक का भुगतान कर दिया गया है, जबकि वर्क ऑर्डर 70 करोड़ 60 लाख का था। 23 करोड़ से भी अधिक का भुगतान अधिकारियों की मिलीभगत से हो गया है जो शासकीय राशि का खुले रूप से गबन है, यह एक आपराधिक कृत्य है। रिंग रोड की समयावधि 30 वर्ष की है, इसका डीपीआर में उल्लेख है, लेकिन रिंग रोड अभी पूर्ण हुआ नहीं है और जगह-जगह क्रैक आना शुरू हो गया है क्योंकि रिंग रोड में सीवीआर सब ग्रेड घटिया क्वालिटी का डाला गया है, इसके लिए 4 करोड़ की राशि अलग से निकाल ली गई है। रिंग रोड का डीपीआर के अनुसार कार्य नहीं किया गया है।