हर काम के लिए एजेंट अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर आरटीओ अधिकारी व बाबू को कमीशन देकर हर काम कराया जा रहा है। वहीं आरटीओ कार्यालय के बाहर ऑनलाइन के नाम पर सैकड़ों एजेंट अपनी दुकान खोलकर बैठे हैं और लोगों को लूट रहे हैं। इसमें आरटीओ अधिकारी की पूरी मिली भगत है।
गौरतलब है कि आरटीओ दफ्तर से संबंधित हर काम के लिए लोगों को एजेंट का सहारा लेना पड़ रहा है। इस भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘पत्रिका’ लगातार कैंपेन चला रही है। कैंपेन की पिछली खबर में आरटीओ अधिकारी सीएल देवांगन ने कहा था कि अंबिकापुर आरटीओ कार्यालय में एजेंट की एंट्री पूरी तरह बंद है।
लोग स्वयं आकर अपना काम करा रहे हैं। अगर कोई भी एजेंट कार्यालय में आकर काम कराता है तो उसे चिन्हित कर उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 24 नवंबर को पत्रिका की टीम उक्त दावे की हकीकत जानने आरटीओ कार्यालय पहुंची तो पता चला कि आरटीओ अधिकारी सीएल देवांगन खुद एजेंट से किसी कार्य के लिए गहन चर्चा कर रहे हैं।
यहां के आरटीओ ऑफिस में एजेंटों के बिना नहीं बनते लाइसेंस, ज्यादा रुपए खर्च करने पर बनते हैं दूसरे राज्य के लोगों के भी
इससे स्पष्ट होता है कि आरटीओ कार्यालय में खुलेआम एजेंटों का बोलबाला है, यानी बिना एजेंटों के एक काम भी नहीं हो सकता है। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक एजेंट ने बताया कि अब तक के सबसे भ्रष्ट आरटीओ अधिकारी आए हंै। वे हर काम के लिए मोटी रकम की मांग करते हैं।
नहीं देने पर महीनों दस्तावेज पर साइन नहीं करते हैं। मजबूरन हमें ज्यादा रुपए देने पड़ते हैं। कमीशन अधिकारी से लेकर बाबू तक को पहुंचाना पड़ता है। हर विभाग के बाबू को मोटी रकम देनी पड़ती है।
रेट बढ़ाने अधिकारी बना रहे दबाव
आरटीओ अधिकारी ‘कंबल ओढकर घी पीने’ जैसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। विभाग में कमीशन खोरी चरम पर है। इस पर रोक लगाने की बजाए वे और बढ़ावा दे रहे हैं। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक एजेंट ने बताया कि दिवाली- धनतेरस में वाहनों की बिक्री खूब हुई है।
अधिकारी कार्यालय से नदारद तो बाबू जारी करते हैं परमिट
3 हजार से ज्यादा बाइक व 6 सौ से ज्यादा कार व भारी वाहनों की बिक्री हुई है। सभी की फाइल रजिस्ट्रेशन के लिए एजेंट के माध्यम से विभाग में पड़ी है। आरटीओ अधिकारी रजिस्ट्रेशन का रेट बढ़ाने के लिए एजेंटों पर दबाव बना रहे हैं। बढ़ा हुआ कमीशन नहीं देने पर काम करने से मना कर दिया गया है।
एजेंटी प्रथा खत्म करने की बजाय दे रहे बढ़ावा
आरटीओ अधिकारी अपने विभाग में एजेंटी प्रथा कम करने की जगह उसे बढ़ावा देने में लगे हैं। अधिकारी रेट बढ़ाने के लिए एजेंटों पर दबाव भी डाल रहे हैं। जबकि एजेंटों का कहना है कि अधिकारी हर 6 महीने पर रेट बढ़ाने की बात करते हैं। वहीं जब भी कोई नया अधिकारी आता है तो रेट और बढ़ा देते हैं। इससे हम लोगों की परेशानी भी बढ़ जाती है।