अंबिकापुर

2 रुपए किलो बिक रहे गोबर से अब वर्मी कम्पोस्ट ही नहीं, लकड़ी और ईंट का भी हो रहा निर्माण, बढ़ी डिमांड

Cow dung: नगर निगम (Nagar Nigam) क्षेत्र में समूह की महिलाएं तैयार कर रहीं ईंट (Bricks) और लकडिय़ां, खाना बनाने से लेकर अंतिम संस्कार (Funeral) तक में किया जाएगा उपयोग

अंबिकापुरDec 04, 2020 / 10:36 pm

rampravesh vishwakarma

Cow dung wood

अंबिकापुर. गोबर से दीये, वर्मी कम्पोस्ट (Vermi compost) व कंडे बनते तो आपने देखे होंगे। लेकिन इन दिनों अंबिकापुर में गोबर (Cow dung) से लकड़ी और ईंट का निर्माण (Bricks construction) भी किया जा रहा है और यह कार्य नगर निगम की देखरेख में गोधन न्याय योजना के तहत समूह की महिलाएं संभव कर रहीं है। कम लागत से बनने वाली गोबर की लकड़ी और ईंट की डिमांड काफी बढ़ गई है।

प्रदेश सरकार (Chhattisgarh Government) की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से महिलाएं आत्मनिर्भर हो रहीं हैं। एक तरफ जिले भर के गोठानों में गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojna) के तहत गोबर खरीदी के बाद जहां इससे वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर बिक्री की जा रही है। वहीं नवाचार के तहत अब गोबर से कई अन्य उपयोगी सामग्रियां भी तैयार की जा रही है।
ये नवाचार शहर में ही हो रहा है। प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना सरगुजा जिले में मील का पत्थर साबित हो रही है। गोठान में खरीदे जाने वाले दो रुपए प्रति किलो के गोबर से अब समूह की महिलाएं लकड़ी और ईंट का निर्माण कर रही है। दरअसल अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Nagar Nigam) को शासन की ओर से गोबर के ईंट और लकड़ी बनाने की स्वीकृति मिली थी।
स्वीकृति मिलते ही निगम प्रशासन ने मात्र 60 हजार रुपए खर्च कर डीसी रोड स्थिति एसएलआरएम सेंटर में मशीन लगवा दी। इसके बाद समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर गोबर से लकड़ी और ईट बनाने का कार्य शुरू किया गया है।

खाना बनाने से लेकर अंतिम संस्कार तक में उपयोग
कम लागत से बनने वाली गोबर (Cow dung) की लकड़ी और र्इंट की डिमांड काफी बढ़ गई है। सर्दी के इस मौसम में इसका उपयोग अलाव जलाने के लिए किया जायेगा।
साथ ही जेल में खाना बनाने के लिए गोबर की लकड़ी और ईंट का इस्तेमाल भी होगा। जेल प्रबंधन ने नगर निगम को इसके लिए ऑर्डर भी दे दिया है। यही नहीं, मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार के लिए भी अब गोबर की लकड़ी और ईंट उपयोग में आयेगी।

गोबर की लकड़ी से पर्यावरण को फायदा
मात्र 6 रुपए किलो में बिकने वाली गोबर की लकड़ी व ईंट के फायदे अनेक हंै। एक तरफ पर्यावरण को फायदा तो पहुंचेगा ही साथ ही जलावन लकड़ी की अवैध कटाई पर भी काफी हद तक रोक लगेगी। यही नहीं, समूह की महिलाएं गोबर की लकड़ी व ईंट का निर्माण कर आत्मनिर्भर बनेंगी और आम लोगों को भी इसका फायदा मिलेगा।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.