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निर्दयी मां-बाप ने 1 माह की बेटी को झाडिय़ों में फेंका, रोने की आवाज सुन मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों के ठिठक गए कदम

locationअंबिकापुरPublished: Jul 12, 2020 09:05:23 pm

Cruel parents: बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ से कुछ लोगों का कोई वास्ता नहीं, बालिका को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराकर पुलिस माता-पिता की तलाश में जुटी

निर्दयी मां-बाप ने 1 माह की बेटी को झाडिय़ों में फेंका, रोने की आवाज सुन मॉर्निंग वॉक पर निकले लोगों के ठिठक गए कदम

Girl child

अंबिकापुर. आखिर मेरा क्या कसूर था मां! जब फेंक ही देना था तो जन्म ही क्यों दिया! ये सवाल उस रो रही असहाय बच्ची की हालत बयां कर रही थी, जो रविवार की सुबह शहर के शिवधारी कॉलोनी स्थित मैदान में झाड़ी में पड़ी मिली। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा सिर्फ दीवारों पर ही नजर आ रहा है।
आज भी कई ऐसे लोग (Cruel parents) हैं जो बेटे की चाहत में बेटी को लावारिस मरने को फेंक रहे हैं। मैदान में लावारिस बच्ची को मिलने की सूचना मिलते ही गांधीनगर पुलिस मौके पर पहुंची और उसे इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। नवजात का इलाज कर रहे डॉक्टर रेलवानी ने बताया कि बालिका करीब 1 माह की है, फिलहाल वह स्वस्थ है।

रविवार की सुबह शहर के शिवधारी कॉलोनी के आस-पास के लोग घूमने निकले थे। इस दौरान पंचानन होटल के पास मैदान से बच्चे के रोने की आवाज सुनकर लोग वहां पहुंचे। वहां का दृश्य देख कर लोग हैरान रह गए। कपड़े में लपेटी हुई एक बच्ची लावारिस फेंकी हुई थी। उसके आस-पास कोई नहीं था।
इस अवस्था में मां अपने बच्चों को सीने से लगा कर रखती है वहीं बच्ची खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई थी। लोगों ने इसकी जानकारी गांधीनगर पुलिस को दी।

सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और बच्ची को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस फेंकने वाले आरोपी व उसे जन्म देने वाले माता-पिता (Cruel parents) की तलाश कर रही है।

एक माह की है बालिका
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज कर रहे चिकित्सक डॉ. रेलवानी ने बताया कि बच्ची अभी स्वस्थ्य है। बच्ची को जन्म लिए लगभग एक माह हुए होंगे। बच्ची को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। उसके शरीर पर चोट के निशान भी नहीं हैं।

मां की ममता इतनी ही थी कि लपेट दिया था कपड़ों में
निर्मोही मां-बाप (Cruel parents) ने बारिश के इस सीजन में बालिका को खुले आसमान के नीचे फेंक दिया था। बारिश के दिनों में अक्सर जहां-तहां कीड़े-मकोड़े रहते हैं। झाडिय़ों के बीच बालिका का रो-रोकर बुरा हाल था। मां की ममता बस इतनी ही उस बच्ची के साथ जुड़ी हुई थी कि उसने झाड़ी में फेंकने से पहले उसे कपड़ा में लपेट दिया था।
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