अंबिकापुर

गन्ने की फसल खा रही हथिनी पलभर में हो गई ढेर, शव देख हाथियों ने लगाई चिंघाड़ तो थर्रा उठा इलाका

हाथियों की चिंघाड़ सुन इलाके के ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग ने हाथियों के दल के आक्रामक होने की जताई संभावना, अकेले घर से नहीं निकलने की दी सलाह

अंबिकापुरNov 18, 2018 / 07:53 pm

rampravesh vishwakarma

Elephant dead body

अंबिकापुर/विश्रामपुर. सूरजपुर वन परिक्षेत्र के ग्राम मोहनपुर में शनिवार की देर रात एक पहाड़ी कोरवा के खेत में गन्ने की फसल खाने के दौरान बांकी दल की मादा हाथी की विद्युत करंट की चपेट में आने से मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलते ही रविवार की सुबह वन अमला मौके पर पहुंचा। इस दौरान चिकित्सकों की टीम द्वारा हथिनी का पीएम किया गया। प्रथम दृष्टया हथिनी की मौत की वजह करंट ही मानी जा रही है।

अंबिकापुर-लटोरी मार्ग पर स्थित ग्राम मोहनपुर में इन दिनों हाथियों का दल सक्रिय है। हाथी किसानों के फसल को रौंद रहे हैं। शनिवार की रात लगभग 2 बजे हाथियों का दल ग्राम मोहनपुर के बहादुर कोरवा के खेत में लगी गन्ने की फसल खा रहे थे। इसी दौरान एक 15-16 वर्ष की मादा हाथी करंट की चपेट में आ गई।
इससे उसकी कुछ देर में ही मौत हो गई। हथिनी की मौत होने पर दल के अन्य हाथियों ने चिंघाडऩा शुरू कर दिया। चिंघाड़ से आसपास का क्षेत्र थर्रा उठा। हथिनी की मौत की जानकारी सुबह गांव के लोगों ने वन विभाग को दी।
वन विभाग के अधिकारी रविवार की सुबह वन अमले के साथ मोहनपुर के कोरवा पारा में पहुंचे। यहां 3 डाक्टरों की टीम ने मौके पर ही हथिनी के शव का पीएम किया। पीएम के बाद खेत में ही हथिनी का शव दफना दिया गया।

खेत के ऊपर से गुजरा है विद्युत तार
आगे की कार्रवाई के लिए वन अधिकारी पीएम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे है। वन अधिकारियों ने बताया कि खेत के ऊपर विद्युत तार गुजरा है। हाथियों का दल शनिवार की रात गन्ने की फसल खा रहे थे। इस दौरान एक हथिनी फसल खाने के लिए संभवत: सूंड ऊपर उठाई होगी और करंट की चपेट में आ गई होगी। इससे उसकी मौत हो गई।

ग्रामीणों को रात में नहीं निकलने की दी है सलाह
हथिनी के मौत के बाद दल के अन्य सदस्य के आक्रामक होने की संभावना जताई जा रही है। इसकी वजह से वन विभाग के अधिकारियों द्वारा पूरे गांव में लोगों से रात के अंधेरे में अकेला नहीं निकलने की सलाह दी जा रही है।
वहीं वन विभाग द्वारा पूरे क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान के लिए बेरिकेटिंग कराई जा रही है। लगभग 700 हैक्टेयर जंगल में बेरिकेटिंग कर उन्हें रोकने का प्रयास किया जा रहा है।

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