scriptसड़क पर लहूलुहान पड़े क्लर्क और रोते मासूम बेटे को देख पसीजा फूड ऑफिसर का दिल, जान बचाने खींची स्ट्रेचर | Food officer save clerk's life who lay down cluttered on road | Patrika News

सड़क पर लहूलुहान पड़े क्लर्क और रोते मासूम बेटे को देख पसीजा फूड ऑफिसर का दिल, जान बचाने खींची स्ट्रेचर

locationअंबिकापुरPublished: Mar 17, 2018 08:25:18 pm

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मौके पर वार्ड ब्वाय नहीं पहुंचने पर खुद स्ट्रेचर खींचकर कराया इलाज, वार्ड में शिफ्ट कराकर सीएमएचओ को दी जानकारी

Injured clerk

Injured clerk and food officer

अंबिकापुर. कहावत है कि मारने वाले से ज्यादा बड़ा बचाने वाला होता है। ऐसा ही काम फूड ऑफिसर ने शनिवार की दोपहर किया। उन्होंने अज्ञात वाहन की टक्कर से सड़क पर लहूलुहान पड़े क्लर्क को न केवल अपने वाहन से मेडिकल कॉलेज अस्पताल तक लाया बल्कि स्ट्रेचर में खींचकर डॉक्टर के कक्ष तक ले गए।
उसका इलाज कराकर वार्ड में शिफ्ट कराया और सीएमएचओ से अस्पताल में अव्यवस्था की शिकायत की। बताया जा रहा है कि जब फूड ऑफिसर घायल क्लर्क को अस्पताल लेकर पहुंचे तो वाहन से उसे उतारने के लिए ड्यूटी पर रहा कोई वार्ड ब्वाय उसे लेने नहीं आया। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में यह अव्यवस्था सालों से चली आ रही है।

संभाग के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गंभीर रूप से घायल मरीजों की मदद के लिए कोई वार्ड ब्वाय नहीं आता है। अस्पताल में पहुंचने के बाद मरीज के परिजन को ही स्ट्रेचर खोजना पड़ता है और स्वयं ही उसे खींच कर डॉक्टर कक्ष तक ले जाना पड़ता है।
यह सिलसिला आम नागरिकों के लिए तो आम बात है परंतु किसी प्रशासनिक अधिकारी को भी जब ऐसी ही स्थिति से गुजरना पड़े तो वस्तुस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। लखनपुर विकासखंड के ग्राम पुहपुटरा निवासी 40 वर्षीय हीरालाल राजवाड़े उदयपुर बीईओ कार्यालय में लिपिक के पद पर पदस्थ है। हीरालाल शनिवार की सुबह अपनी बाइक से उदयपुर में आयोजित लोक सुराज के समाधान शिविर में जाने के लिए निकले थे।
हीरालाल के साथ उनका 3 वर्षीय पुत्र था जिसे वे लखनपुर में छोडऩे वाले थे। इस दौरान मेण्ड्राकला के समीप अज्ञात वाहन ने बाइक को टक्कर मार दी। इससे लिपिक सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गया। इसी दौरान फूड ऑफिसर रविन्द्र सोनी भी उदयपुर के समाधान शिविर में शामिल होने जा रहे थे। सड़क किनारे पड़े घायल युवक व पास में बैठकर रोते बालक को देखकर उनका दिल पसीज गया।
उन्होंने तत्काल अपनी गाड़ी रुकवाई और घायल को वाहन में लिटाकर तत्काल अस्पताल पहुंचे। अस्पताल आने पर जब उन्होंने घायल लिपिक को वाहन से उतारना चाहा तो वहां कोई भी वार्ड बॉय मौजूद नहीं था। इसके बाद उन्होंने पुलिस की मदद से उसे स्ट्रेचर में खींचकर डॉक्टर के रूम तक ले गए और उसका उपचार करवाया।
इतना ही नहीं घायल लिपिक को जमीन में ही लिटा दिया गया। अस्पताल में मरीज को देखने वाला कोई भी नही था। लिपिक की स्थिति गंभीर बनी हुई है। गनीमत यह रही कि इस घटना में बच्चे को चोट नहीं आई और फूड अधिकारी समय रहते मौके पर पहुंच गए।

सीएमएचओ को मोबाइल से दी गई जानकारी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल की अव्यवस्था देखकर फूड अधिकारी ने इसकी शिकायत सीएमएचओ से मोबाइल से की। सूचना पर सीएमएचओ ने किसी डॉक्टर को भेजने का आश्वासन दिया। फूड अधिकारी की मदद से इस लिपिक की जान तो बच गई परंतु उसकी स्थिति अब भी नाजुक बनी हुई है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो