नहीं पकडऩे पर महिलाओं पर लगाया जाता है अर्थदंड, गांवों में तरह-तरह की परंपराओं का लंबे समय से किया जाता रहा है निर्वहन
Women caught cock
अंबिकापुर. लंबे समय से कई तरह की मान्यताएं चली आ रही हैं। कुछ मान्यताओं के पीछे की यह कहानी होती है कि यदि ऐसा नहीं किया जाए तो गांव या परिवार के साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती है। इस डर से लोग उक्त परंपरा का निर्वहन करने को बाध्य होते हैं। कभी किसी गांव में होली 5 दिन पहले मना ली जाती है तो कभी किसी समाज द्वारा उल्टी घड़ी रखी जाती है।
ऐसी ही एक मान्यता का निर्वाह कई दशकों से कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से 80 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत ताराबहरा के आश्रित ग्राम बैरागी के लोग करते आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के ग्राम पंचायत ताराबहरा स्थित ग्राम बैरागी के लोगों का मानना है कि वर्षभर गांव में अकाल न पड़े, इसके लिए हर वर्ष एक निश्चित दिन को पुरुषों द्वारा जंगल में मुर्गे व गिलहरियां छोड़ी जाती हैं। इन मुर्गों व गिलहरियों को गांव की महिलाओं को पकडऩा होता है। यदि वे ऐसा कर लेती हैं तो गांव में वर्षभर अकाल नहीं पड़ता है।
इस परंपरा का निर्वहन करने होली के दूसरे दिन गांव में कुछ रोमांचक प्रतियोगिताएं कराईं जाती हैं। इसमें पूरे गांव के महिलाएं-पुरुष, युवक-युवतियां व बच्चे खुले मैदान में एकत्रित होते हैं। प्रतियोगिता के दौरान गांव के पुरुष जंगली मुर्गे, खरगोश व गिलहरियां पकड़ कर लाते हैं। इसके बाद वे इन मुर्गों व गिलहरियों को जंगल में छोड़ देते हैं। फिर महिलाओं को उन्हें ढूंढकर लाने को कहा जाता है।
प्रतियोगिता में शामिल महिलाएं गांव पर कोई विपदा न आए, इसलिए जंगल में मुर्गें व गिलहरी को पकडऩे निकल पड़ती हैं। यदि वे मुर्गे या गिलहरी को पकड़ कर प्रतियोगिता स्थल तक ले आती हैं तो ऐसा माना जाता है कि अब इस गांव को अकाल की स्थिति से नहीं गुजरना पड़ेगा।
पुरस्कार व दंड का प्रावधान जंगल में छोड़े गए मुर्गे व गिलहरी को पकड़कर लाने पर महिलाओं को जहां पुरस्कृत किया जाता है, वहीं यदि वे इसमें कामयाब नहीं होती हैं तो उनपर अर्थदंड भी लगाया जाता है। ये प्रतियोगिता काफी रोमांचक होती है और इसमें गांव का हर व्यक्ति हिस्सा लेता है। इसके अलावा यहां केकड़ा दौड़, केकड़ा व मछली पकड़ो प्रतियोगिता, खरगोशों की दौड़ सहित अन्य प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं।