अंबिकापुर के हर्राटिकरा निवासी राजेन्द्र धर दुबे की वर्ष 2006 में किडनी फेल हो गई थी। उसने किडनी प्रत्यारोपण कराने के चक्कर में अपने परिचत रविन्द्रधर दुबे के साथ धोखाधड़ी की। राजेंद्र धर दुबे ने अपनी पत्नी कौशल्या देवी के स्वामित्व की भूमि को स्वयं का होना बताकर कूटरचित कर छल पूर्वक (Fraud) रविन्द्रधर के नाम वसीयत नामा तैयार कराया और उसे किडनी देने के लिए तैयार करा लिया।
इसके एवज में राजेन्द्रधर दुबे ने स्वयं व उसके दोनों बेटे मिथलेश दुबे व अनिमेश दुबे ने रविन्द्र दुबे व उसके परिवार की जिन्दगी भर सेवा भाव करने का झांसा (Pretending) दिया। रविन्द्र परिवार का मामला होने के कारण किडनी देने (Kidney transplant) के लिए तैयार हो गया।
वर्ष 2007 में लखनऊ के एक अस्पताल में राजेंद्र ने रविन्द्र को अपना पुत्र बताकर किडनी प्रत्यारोपण करवा लिया। इसके बाद स्वस्थ होने के बाद राजेन्द्र व उसकी पत्नी व दोनों बेटों ने रविन्द्र की देख-रेख करने से इंकार कर दिया और वसीयत को भी निरस्त करा दिया।
कोतवाली में दर्ज कराई रिपोर्ट
किडनी ट्रांसप्लांट कर खुद को ठगा महसूस करने के बाद रविन्द्र धर दुबे ने इसकी रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज कराई है। पुलिस ने आरोपी राजेन्द्रधर दुबे, उसकी पत्नी कौशल्या देवी, पुत्र मिथिलेश व अनिमेश धर दुबे के खिलाफ धारा 120 बी, 419, 420, 467, 468 के तहत अपराध दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।