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अंबिकापुर

स्वतंत्रता संग्राम में सरगुजा अंचल के इकलौते शहीद थे बाबू परमानंद, मात्र 18 साल थी उनकी उम्र

Martyr Babu Parmanand: 75 साल बाद भी बाबू परमानंद को नहीं मिला शहीद का दर्जा, परिजनों द्वारा अपनी तरफ से लगातार किए जा रहे प्रयास, 38 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा (life story) लिख रहे अजय चतुर्वेदी को बाबू परमानंद के बारे में शोध के दौरान पता चली थी ये बात

अंबिकापुरAug 09, 2022 / 09:00 pm

rampravesh vishwakarma

Martyr Babu Parmanand

Babu Parmanand

अम्बिकापुर. Martyr Babu Parmanand: आजादी के अमृत महोत्सव पर रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी ‘स्व का संघर्ष-स्वाधीनता आंदोलन में सरगुजा अंचल के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों (Freedom Fighters) पर शोध कार्य कर रहे जिला पुरातत्व संघ सूरजपुर के सदस्य अजय कुमार चतुर्वेदी ने 38 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत किया। 6 से 8 अगस्त शोध संगोष्ठी चला। शोधकर्ता अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सरगुजा अंचल कुछ वीर सपूतों की जन्मभूमि और कुछ की कर्मभूमि है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर सपूतों के सामने आजादी के बाद जब जीविकोपार्जन की समस्या उत्पन्न हुई तो वे रोजगार की तलाश में सरगुजा आ गए। कुछ सेनानियों ने नौकरी के लिए सरगुजा को अपना कर्म क्षेत्र बनाया।

अजय कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि अभी तक सरगुजा संभाग के 38 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों से मिल कर जीवन गाथा का लेखन कर लिया हैं। इनमें सरगुजा जिले से 14, बलरामपुर जिले से 03, सूरजपुर जिले से 02, कोरिया जिले से 11 और जशपुर जिले से 08 हैं।
इनमें 26 नाम सरगुजा गजेटियर 1989 में दर्ज हैं। लेकिन आज भी अनेक वीर सपूतों के नाम गुमनाम हैं। सरगुजा अंचल के ऐसे ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ढ़ूंढ़ा और उनके परिजनों से संपर्क कर जीवन गााथा को लिख रहा हूं।

आजादी की लड़ाई में जनजातियों का योगदान
देश की स्वतंत्रता के लिए अनेक वीर सपूतों ने आहुतियां दी थ़ी। सरगुजा अंचल के मूल निवासी जनजाति समुदाय के वीर सपूतों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में आहुतियां दी हैं।
सरगुजा अंचल से 03 जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मिले हैं। जिनमें बलरामपुर जिले के कुसमी तहसील सें महली भगत और शंकरगढ़ तहसील से राजनाथ भगत हैं। जिनका कर्म क्षेत्र सरगुजा अंचल रहा। सरगुजा जिले के अंबिकापुर तहसील से स्वर्गीय माझीराम गोंड़ हैं, जिनकी जन्म भूमि और कर्म भूमि दोनों सरगुजा अंचल रही।

जेल में ही शहीद हो गए थे बाबू परमानंद
अजय चतुर्वेदी ने बताया कि मेरे शोध के दौरान सरगुजा अंचल के सूरजपुर जिले के एक गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ब्रह्मचारी बाबू परमानंद की जानकारी मिली। वे 18 वर्ष 02 माह 08 दिन में जेल में ही देश की खातिर शहीद हो गए थे। लेकिन आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी इन्हें शहीद या स्वतंत्र संग्राम सेनानी का दर्जा नहीं मिल पाया। परिजन आज भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पत्रों का प्रकाशन
अजय चतुर्वेदी ने सरगुजा अंचल की कला, संस्कृति, पुरातत्व, लोक साहित्य, बोली, लोक गीत, लोक वाद्य और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर शोध कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरगुजा को गौरवान्वित किया है।
इनके शोध पत्र पर आधारित आलेख, रूपक वार्ता, आकाशवाणी अंबिकापुर, रायपुर और भोपाल से प्रसारित किया जाता है। इन्होंने अनेक पुस्तकें भी लिखी है। इनकी लिखी रचनाएं छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक में भी शामिल हैं। साथ ही अनेक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शोध पत्रों का प्रकाशन भी किया जा चुका है।

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