अब कर्जाधारी किसानों की निगाहें सरकार के फैसले पर टिकी हुई है। पर्याप्त मात्रा में बारदाने की आपूर्ति नहीं होने की से इस वर्ष किसानों की मुश्किल बढ़ गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरगुजा जिले के कई धान समिति केंद्रों में मात्र 50 से 60 प्रतिशत तक ही धान की खरीदी हुई है।
जबकि जिले में कई ऐसे किसान हैं जो धान बेचने के लिए कतारों में लगे हुए हैं और रोजाना टोकन के लिए समिति केंद्रों का चक्कर काट रहे हैं। वहीं धान खरीदी के लिए काफी कमसमय बचा हुआ है। ऐसे में किसानों के माथे में चिंता की लकीर साफ नजर आ रही है।
जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा है वैसे-वैसे किसानों की चिंता और गहराती जा रही है। किसानों की निगाहें सरकार के फैसले पर रही है। सरकार से किसान मांग कर रहे हैं कि धान खरीदी की तिथि बढ़ाई जाए नहीं तो अन्नदाताओं को गुजारा करना मुश्किल हो जायेगा।
टोकन के लिए चक्कर काट रहे किसान
अन्नदाता सरकार की नीतियों से ही नहीं बल्कि समिति प्रबंधकों से भी परेशान है। जिले के सभी समिति प्रबंधकों को इस बात की जानकारी है कि 31 जनवरी तक धान की खरीदी की जाएगी बावजूद इसके वे समय पर समिति नहीं पहुंच रहे है। ऐसा ही एक उदाहरण ग्राम कुंदी के केंद्र में दिखने को मिला।
यहां समिति प्रबंधक दिलीप कुमार यादव की लापरवाही की वजह से किसानों को समय पर टोकन का वितरण नहीं हो रहा है। दरअसल समिति प्रबंधक समय पर केंद्र नहीं पहुंचते हैं तो किसानों को वे टोकन का वितरण कैसे करेंगे।
किसानों को कर्ज पटाने की चिंता
सरगुजा जिले के लखनपुर ब्लाक का धान खरीदी केंद्र अमेरा के पंजीकृत किसान पिछले 15 दिनों से टोकन के लिए खरीदी केंद्र का चक्कर लगा रहे हैं। ये वो किसान हंै जो समिति से खाद बीज के लिए लाखों रुपए कर्ज लेकर धान की फसल उपजाये थे। ताकि समर्थन मूल्य पर वे भी सरकार को धान बेच सकें और समय पर कर्ज चुका सकें।
लेकिन जैसे-जैसे धान खरीदी का समय समाप्त होते जा रहा है वैसे-वैसे कर्जधारी किसानों की चिंता बढऩे लगी है। उन्हें चिंता है कि यदि समय रहते वे धान नहीं बेच सके तो समिति से लिया हुआ कर्ज कैसे चुकाएंगे।
जबकि कई कर्जधारी किसानों को धान बेचने के लिए टोकन का वितरण तक नहीं किया गया है। ऐसे में सरकार धान खरीदी की समय सीमा को नहीं बढ़ाई तो आने वाले दिनों में ये कर्जधारी किसान कर्ज के बोझ तले दबने को मजबूर हो जाएंगे।
समितियों से धान का उठाव नहीं
बारदाने की कमी की वजह से किसानों के साथ-साथ समिति प्रबंधन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खरीदी केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक धान जाम पड़ा है। धान के उठाव की ओर प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। इस साल धान खरीदी के दौरान सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या बारदाने की कमी को लेकर बनी हुई है।
आलम यह है कि पर्याप्त मात्रा में बारदाना (Bardana) उपलब्ध नहीं होने की वजह से एक तरफ जहां किसानों को टोकन देना बंद कर दिया गया है वहीं दूसरी ओर समिति प्रबंधकों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। यह बड़ी वजह है कि बारदाने की कमी की वजह से इस वर्ष धान खरीदी (Paddy purchase) प्रभावित हुआ है और कई किसान अब तक धान नहीं बेच सके हैं।
बावजूद इसके खरीदी केंद्रों में जाम पड़ा बफर लिमिट से अधिक धान का उठाव नहीं किया जा रहा है। इस वजह से समिति प्रबंधकों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।