अंबिकापुर

महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण मामला: प्रशासन की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, बड़े जनप्रतिनिधि का आया नाम

Encroachment on Mahamaya Pahad: भाजपा पार्षद ने महामाया पहाड़ पर तेजी से हो रहे अतिक्रमण का उठाया था मामला, शासन ने जांच के दिए थे आदेश, प्रशासन द्वारा जांच (Investigation by Administration) की गई तो पता चला कि क्षेत्र के एक बड़े जनप्रतिनिधि समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के सहयोग से कराया गया है अतिक्रमण, आरटीआई से मांगी गई जानकारी में सामने आई सच्चाई

अंबिकापुरFeb 15, 2022 / 11:29 pm

rampravesh vishwakarma

Encroachment on Mahamaya pahad

अंबिकापुर. Encroachment on Mahamaya Pahad: महामाया पहाड़ पर हो रहे अतिक्रमण के मामले में जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच रिपोर्ट में शहर के बड़े जनप्रतिनिधियों की संलिप्तता सामने आने से सनसनी फैली हुई है। इनके संरक्षण से महामाया पहाड़ पर 250 से ज्यादा अतिक्रमण की पुष्टि हुई है। भाजपा पार्षद आलोक दुबे (BJP Councilor Alok Dubey) द्वारा लगाए गए सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई प्रशासन की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। शासन के आदेश के बाद कलक्टर ने टीम का गठन कर जांच कराई थी। वहीं जांच रिपोर्ट में रोहिंग्या (Rohingya) के बसने की बात सामने नहीं आई।

गौरतलब है कि शहर के महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण स्थानीय व बाहरी लोगों द्वारा धड़ल्ले से किया जा रहा है। इसकी शिकायत लगातार सामने आ रही थी। भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने जून 2021 में महामाया पहाड़ पर हो रहे अतिक्रमण को रोकने व जांच कराने की मांग छत्तीसगढ़ शासन से की थी। इस मामले में शासन द्वारा सरगुजा कलक्टर संजीव कुमार झा को जांच के आदेश दिए गए थे।
शासन के निर्देश के बाद कलक्टर ने 10 दिसंबर 2021 को टीम गठित कर जांच करने के निर्देश दिए थे। जांच टीम में विनय कुमार लंगेह मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सरगुजा, तनुजा सलाम अपर कलक्टर, वन मण्डलाधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व अम्बिकापुर, नगर पुलिस अधीक्षक अंबिकापुर व आयुक्त नगर पालिक निगम अम्बिकापुर द्वारा महामाया पहाड़ एवं उसके आस-पास स्थित क्षेत्र का सर्वे किया गया।
सर्वे में 254 अतिक्रमण की पुष्टि हुई। सरगुजा कलक्टर द्वारा गठित कमेटी द्वारा मौके पर जाकर स्थल निरीक्षण किया गया तथा निवासरत व्यक्तियों में से कुल 114 व्यक्तियों का कथन दर्ज किया गया। वहीं इस मामले में आवेदक आलोक दुबे का भी कथन लिया गया था। कथन में पाया गया कि महामाया पहाड़ तथा आसपास स्थित शासकीय भूमि एवं वन भूमि पर लगातार अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है।
स्थानीय पार्षद, सरपंच एवं तत्कालीन पार्षद द्वारा अतिक्रमण करने वाले परिवारों का राशन कार्ड, आधार कार्ड व वोटर आईडी कार्ड तथा अन्य सुविधाएं कैम्प लगाकर देने में सहयोग किया गया और इनके द्वारा अतिक्रमण हेतु प्रोत्साहन करने की पुष्टि हुई है।
यह खुलासा भाजपा पार्षद आलोक दुबे द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई प्रशासन की रिपोर्ट से हुआ है। जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के संरक्षण में वर्षों से महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण की बात सामने आई है।

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वर्ष 2007 से 2016 के बीच धड़ल्ले से किया गया अतिक्रमण
जांच रिपोर्ट में अतिक्रमण की कुल संख्या 254 तथा कुल अतिक्रमित रकबा 3.39 हेक्टेयर होना पाया गया है। गूगल अर्थ से निकाले गये मानचित्र वर्ष 2007, 2011, 2013, 2018, 2019 एवं 2020 से यह प्रतीत होता है, कि अधिकांश अतिक्रमण वर्ष 2007 से वर्ष 2016 के बीच हुआ है।
जांच दल द्वारा किए गए स्थल निरीक्षण एवं दर्ज किये बयानों से यह प्रतीत होता है कि अतिक्रामक मुख्यत: छत्तीसगढ़ के समीपवर्ती राज्य बिहार-झारखण्ड व उत्तर प्रदेश से आकर बसे हुए हैं। साथ ही अतिक्रामकों में से 100 छत्तीसगढ़, 40 झारखंड, 26 बिहार से एवं शेष मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व अन्य राज्यों से हैं।

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स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मिला कब्जे का प्रोत्साहन
जांच दल ने रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि महामाया पहाड़ एवं आसपास स्थित शासकीय भूमि, वन भूमि पर लगातार अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। स्थानीय पार्षद, सरपंच व तत्कालीन पार्षद द्वारा अतिक्रमण करने वाले परिवारों का राशन कार्ड, आधार कार्ड तथा अन्य सुविधाएं कैम्प लगाकर देने में सहयोग किया गया। इससे न केवल अतिक्रमण रोकने में बाधा उत्पन्न हुई, अपितु अतिक्रमण हेतु कहीं न कहीं प्रोत्साहन मिला। वहीं जांच दल ने अतिक्रमणकारियों केरोंहिग्या नहीं होने की भी बात कही है।

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