वॉशिंगटन। अमरीकी कांग्रेस के कई सदस्यों ने पाकिस्तान की नीतियों तथा प्राथमिकताओं पर सवाल उठाया है और उसे अगले वित्तीय वर्ष के लिए 74 करोड 20 लाख डॉलर की रकम देने के ओबामा प्रशासन के फैसले पर आपत्ति की है। कांग्रेस के सदस्यों का कहना है कि पाकिस्तान यह रकम दूसरी जगह खर्च कर सकता है। ओबामा प्रशासन के दो अधिकारियों अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड ओल्सन तथा अंतरराष्ट्रीय विकास की अमरीकी एजेन्सी के डोनाल्ड सैम्पलर ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता देने का हल्का बचाव किया, लेकिन कांग्रेस के सदस्य इससे संतुष्ट नहीं हो सके। कांग्रेस के सदस्यों ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिए जाने पर अपनी गहरी नाराजगी जतायी और अधिकारी उनका जवाब नहीं दे सके। कांग्रेस की विदेशी मामलों की समिति की अध्यक्ष इलेना रोस लेहतिनेन ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता दिए जाने के मामले की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान पर तीखा प्रहार किया और कहा कि पाकिस्तान अपनी भूमि पर तालिबान के विरूद्ध कार्रवाई न कर उसकी सफलता में सहायक बन रहा है। उन्होंने कहा कि तालिबान पाकिस्तान की भूमि से खुली कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में पाकिस्तान को अरबों डॉलर की रकम देने का कोई औचित्य नहीं है। राजदूत ओल्सन ने कहा कि पाकिस्तान इस समय सामरिक ²ष्टि से चौराहे पर है और उसने पिछले कुछ वर्ष से आतंकवाद के विरूद्ध कार्रवाई में सफलता हासिल की है। उसने आतंकवादी गुटों के विरूद्ध भी कदम उठाए है, लेकिन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से उसे अब भी खतरा है। उन्होंने कहा कि अमरीकी प्रशासन ने अपने उच्च स्तर से यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के विरूद्ध अपनी कार्रवाई में और सुधार लाने और सभी गुटों के विरूद्ध कदम उठाने की जरूरत है। पाकिस्तान ने अब भी उन गुटों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की है जिससे पड़ोसी देश को खतरा है। कांग्रेस सदस्य रोस लेहतिनेन ने राजदूत की राय से असहमति व्यक्त की और कहा कि क्षेत्र में आतंकवाद के विरूद्ध कार्रवाई के मामले में और सहयोग की जरूरत है। कांग्रेस सदस्य माट्ट सालमोन और ब्रैड शेरमन ने प्रशासन को याद दिलाया कि कांग्रेस ने हाल में डा. शकील अफरीदी की नजरबंदी को लेकर पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता रोक दी थी। डा. अफरीदी ने ओसामा बिन लादेन तक पहुंच में अमरीका की मदद की थी। कांग्रेस के एक अन्य सदस्य उना सेहरा वैचर ने पाकिस्तान को सहायता देने पर आपत्ति की।