खोज व बचाव प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बनाने में मददगार
इस खोज के बारे में एमआईटी के वैमानिकी व खगोलविज्ञान विभाग के मुख्य लेखक युलुन टियान ने कहा, ‘दरअसल हम इंसानों की जगह ड्रोन की टुकड़ी का प्रयोग कर रहे हैं ताकि खोज व बचाव प्रक्रिया को अधिक प्रभावशाली बना सकें।’ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक क्वाडरोटोर ड्रोन स्थान का आकलन, स्थानीयकरण और मार्ग योजना तैयार करने के लिए लेजर रेंज फाइंडर से लैस है। जब ड्रोन इसके इर्द-गिर्द उड़ेगा, तो वह भू-भाग का एक व्यक्तिगत 3डी मैप तैयार करेगा।
दो से पांच मिनट में इतने इलाके को कर सकता है कवर
आपको बता दें कि टीम ने जंगलों में कई ड्रोनों का प्रयोग किया। साथ ही अमरीका के वर्जीनिया स्थित नासा के लैंगली शोध केंद्र के भीतर जंगली इलाके में भी दो ड्रोन का परीक्षण किया गया। इन दोनों परीक्षण में प्रत्येक ड्रोन ने करीब दो से पांच मिनट के भीतर 20 वर्ग मीटर इलाके का खाका तैयार किया और वास्तविक समय में उनके नक्शे बना दिए।
टियान का कहना, ‘ड्रोन के साथ कैमरा जोड़कर और वीडियो फीड की निगरानी करने के बजाए एक 3डी मैप तैयार करना अधिक विश्वसनीय है ।’ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह नतीजे पांच से आठ नवंबर तक अर्जेनटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित इंटरनेशनल सिम्पोजियम ऑन एक्सपेरिमेंटल रोबोटिक्स कांफ्रेंस में प्रस्तुत किए जाएंगे।