शोध संस्थान ने जारी की रिपोर्ट अमरीका के सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट (सीजीडी) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप की सरकार गैर-आव्रजन एच1-बी वीजा की समीक्षा कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि इसका अधिकतर उपयोग भारतीय आईटी पेशेवर करते हैं और यह अमरीका व भारत दोनों के ही पक्ष में है।
रिपोर्ट में सामने आई ये बातें सीजीडी की इस रिपोर्ट के को-राइटर और फेलो गौरव खन्ना ने कहा कि यह सुनिश्चित करना वास्तव में महत्त्वपूर्ण है कि दोनों देशों के आईटी क्षेत्र योग्य लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर सकें क्योंकि ये लोग ही दोनों देशों की वृद्धि और नवोन्मेष को वास्तव में आगे बढ़ाएंगे। एच1बी वीजा को लेकर हुआ यह खुलासा द आईटी बूम ऐंड अदर यूनिंटेंडेड कॉन्सीक्यूएंसेस ऑफ चेजिंग द अमरीकन ड्रीम शीर्षक की रपट में हुआ। खन्ना ने कहा कि एच1-बी कार्यक्रम का वास्तव में दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ हुआ। उन्होंने बताया कि अतिरिक्त जानकारी और स्किल्ड वकर्स व आईटी सेक्टर में उत्पादन की बढ़ोतरी भारत को अमरीका से आगे ले जाता है। उन्होंने बताया कि एच1बी वीजा एक गैर-अप्रवासीय वीजा है, जो अमरीकी कंपनियों को विशेष व्यवसायों में विदेशी कामगारों को नियुक्त करने की अनुमति देता ह
भारत के बाद चीन का वर्ष 2007 से इस साल जून तक, यूएससीआईएस को 34 लाख एच-1बी वीजा आवेदन मिले जिनमें भारत से 21 लाख लोग थे। इसी अवधि के दौरान अमेरिका ने 26 लाख लोगों को एच 1 बी वीजा जारी किया। हालांकि यूएससीआईएस इसका देशवार ब्योरा नहीं देता। वर्ष 2007-2017 के बीच एच1 बी वीजा आवेदनों के संदर्भ में भारत के बाद चीन का स्थान आता है। इस अवधि में चीन से एच1 बीजा के लिए 2,96,313 आवेदन आए। फिलीपीन से 85,918, दक्षिण कोरिया से 77,359 और कनाडा से 68,228 वीजा आवेदन प्राप्त हुए।