मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बीते पांच वर्ष से हर सुबह लेफ्टिनेंट सुखबीर तूर मरीन की वर्दी पहन रहे थे। गुरुवार को उन्हें सिख पगड़ी को पहनने का मौका मिला। रिपोर्ट के अनुसार मरीन कॉर्प्स के 246 वर्ष के इतिहास में तूर को पहली बार अनुमति मिली है।
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तूर ने अपील का फैसला लिया
तूर ने एक साक्षात्कार में कहा कि ‘आखिरकार मुझे अपने विश्वास और अपने देश में से चुनने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ा। मैं जैसा हूं, वैसा ही रहते हुए दोनों का सम्मान करता रहूंगा। तूर के अनुसार जब उन्हें इसी साल कैप्टन के रूप में पदोन्नति मिली तो उन्होंने अपील करने का फैसला किया।’
पगड़ी पहनने को लेकर रखी शर्त
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार तूर ने इस अधिकार को पाने के लिए काफी संघर्ष करा है। इस वर्ष पदोन्नति पाकर जब कैप्टन बने तो उन्होंने अपील करने का फैसला किया। वाशिंगटन और ओहायो में पले बढ़े भारतीय प्रवासी के बेटे तूर को कुछ जगहों पर पगड़ी पहनने की अनुमति मिली है। मगर युद्ध क्षेत्र में तैनात होने पर वह ऐसा नहीं कर सकेंगे।