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ईरान-अमरीका परमाणु समझौते पर सवाल, ट्रंप-ओबामा कितने जिम्मेदार?

US-Iran Nuclear Deal: अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप पर बराक ओबामा को चिढ़ाने के लिए ईरान के साथ परमाणु समझौता तोड़ने का आरोप

नई दिल्लीJul 15, 2019 / 10:15 am

Anil Kumar

ईरान-अमरीका परमाणु समझौते पर सवाल, ट्रंप-ओबामा कितने जिम्मेदार

वाशिंगटन। अमरीका और ईरान के संबंधों में लगातार दूरियां बढ़ती जा रही है। इस बीच एक ऐसा खुलासा हुआ है, जो बहुत ही चौंकाने वाला है।

दरअसल, अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरान के साथ परमाणु समझौता तोड़ने को लेकर एक नै रिपोर्ट जारी की गई है। अमरीका में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत की ओर से लिखे गए एक पत्र के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप ने बराक ओबामा को नीचा दिखाने के लिए ईरान परमाणु समझौते को तोड़ दिया।

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सर किम डैरेक ने ट्रंप के इस कदम को ‘कूटनीतिक बर्बरता’ के रूप में वर्णित किया है। दावा किया गया है कि तत्कालीन विदेश सचिव बोरिस जॉनसन ने 2018 में अमरीका से इस समझौते के साथ बने रहने की अपील के बाद पत्र लिखा था।

अब इस खुलासे के बाद कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौता केवल बराक ओबामा को नीचा दिखाने के लिए तोड़ा? क्या बराक ओबामा ने अमरीका के हित में ईरान के साथ समझौता किया था? क्या आगामी राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर इस तरह की खबरें सामने आ रही है?

डोनाल्ड ट्रंप ने क्यों लिया यह फैसला?

पत्र में जो खुलासा हुआ उसके मुताबिक, सर किम ने मिस्टर जॉनसन को पत्र लिखकर सूचित किया कि रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने व्यक्तित्व को निखारने के लिए परमाणु समझौते को छोड़ा है। आगे यह भी बताया गया है, चूंकि इस संधि पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सहमति व्यक्त की थी, इसलिए ट्रंप इसे लेकर कभी सहज नहीं थे।

ऐसा माना जाता रहा है कि ट्रंप बराक ओबामा के कई फैसलों से सहमत नहीं हैं। समय-समय पर ट्रंप ने ओबामा की कई नीतियों की आलोचना भी की है। चुनावी प्रचार के दौरान अफगानिस्तान, सीरिया, लिबिया, वेनेजुएला आदि अन्य जगहों में अमरीकी सैनिकों की तैनाती का मामला हो या फिर ईरान के साथ परमाणु समझौता, ट्रंप ने मुखर होकर विरोध किया।

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ट्रंप ने मई 2018 में ईरान पर परमाणु समझौते का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उससे बाहर निकले का फैसला किया। इस समझौते के साथ पांच अन्य देश भी शामिल हैं। इसी साल जून में एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने डील के हिस्से के रूप में ईरान को 1.8 £ (£ 1.4 बिलियन) दिए जाने पर ओबामा से आपत्ति जताई थी ।

डोनाल्ड ट्रंप

ईरान-अमरीका परमाणु समझौता

दरअसल, कथित तौर पर अनावश्यक रूप से यूरेनियम के उत्सर्जन को लेकर अमरीका ईरान से खफा था। लिहाजा तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 2015 में दुनिया के बाकी मजबूत देशों के साथ मिलकर ईरान के साथ एक समझौता किया। इस समझौते के तहत ईरान परमाणु परीक्षण के लिए यूरेनियम का उत्पादन नहीं करेगा।

बाद में जब 2016 में अमरीका में सत्ता बदली और ट्रंप राष्ट्रपति बने, तो ईरान को लेकर उनकी सोच बदल गई। लिहाजा 2018 में अमरीका ने परमाणु समझौता तोड़ दिया और खुद उससे अलग हो गया और ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। ट्रंप ने आरोप लगाया कि ईरान परमाणु समझौते को उल्लंघन कर रहा है।

बराक ओबामा को लगता था कि अत्यधिक यूरेनियम उत्सर्जन कर ईरान बाकी देशों के साथ उर्जा का व्यापार कर सकता है। इससे अमरीका को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। इसके अलावा गल्फ देशों में अमरीका की पकड़ कमजोर पड़ सकती है।

अमरीका लगातार गल्फ देशों व मध्य-पूर्व में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में आगे कदम बढ़ाता जा रहा है। यदि ऐसे में ईरान अमरीका को कड़ी टक्कर दे सकता था। लिहाजा ईरान को कमजोर कर ही अमरीका आगे बढ़ने में सफल हो सकता है।

इसके अलावा दशकों से अमरीका व ईरान के बीच मतभेद रहे हैं। हालांकि 1970-80 के दशक में अमरीका और ईरान के बीच काफी अच्छे संबंध रहे हैं।

ट्रंप और किम

लीक हुए पत्र में क्या है ?

मेल ऑन संडे अखबार में लीक पत्रों का दूसरा बैच प्रकाशित किया गया है। पहले बैच के प्रकाशन के बाद ब्रिटेन के राजदूत किम डैरेक को पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

बाद में अपने पत्र में डैरेक ने संकेत दिया था कि इस परमाणु समझौते को लेकर ट्रंप की टीम में मतभेद था। साथ ही उन्होंने दीर्घकालीक रणनीति की कमी के लिए वाइट हाउस की आलोचना भी की है।

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डैरेक ने लिखा है कि वे लोग अगली रणनीति तक नहीं बना पा रहे हैं। जॉनसन के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने राष्ट्रपति के फैसले के बारे में कुछ बातचीत नहीं की। डैरेक ने कहा कि पोम्पियो ने इसका भी संकेत दिया कि उन्होंने ट्रंप का मन बदलने का प्रयास किया था लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

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