ट्रंप ने यह किया ट्वीट राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्वीट करते हुए कहा है कि फलस्तीन की मदद के बदले में उन्होंने न कोई प्रशंसा मिली और न ही कोई सम्मान। राष्ट्रपति के मुताबिक- यरूशलम को इसराइल की राजधानी मानने के उनके निर्णय से दोनों देशों में शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। चूंकि उनके इस फैसले ने ऐसा मुद्दा उनके मेज से हटा है, जिस पर हमेशा से विवाद चला आ रहा था।
फलस्तीन ने ऐसे की आलोचना दूसरी और फलस्तीन ने इस पर अमरीका की कड़ी आलोचना की है। फलस्तीन के वरिष्ठ अधिकारी हसन अशरवी ने अपने एक बयान में कहा है कि हम अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सहायता बंद करने की धमकी से ब्लैकमेल नहीं होने वाले। ट्रंप ने पहले स्वयं ही हमारी शांति, स्वतंत्रत और न्याय के प्रयासों को तोड़ा है और अब वे इसके लिए फलस्तीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है।
यरुशलम के फैसले पर हुई थी अमरीका की आलोचना यरूशलम को इसराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले की संयुक्त राष्ट्र में भी आलोचना हुई थी। बता दें, दिसंबर में राष्ट्रपति ट्रंप ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने का फैसला लिया था। ट्रंप ने चुनावों से पहले ऐसा करने का वादा किया था।
इससे पहले पाकिस्तान की सहायता बंद करने की बात कही थी बता दें, इससे पहले राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता बंद करने की बात कह चुके हैं। उन्होंने कहा था कि- अमरीका पंद्रह साल से पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की आर्थिक मदद दे चुका है, लेकिन इसके बदले में उसे झूठ और धोखा ही मिला।
अमरीकी राजदूत ने की पुष्टि ट्रंप के ट्वीट के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी राजदूत निकी हेली ने अपने बयान में कहा है कि अमरीका फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए चलाई जा रही संयुक्त राष्ट्र की मदद एजेंसी में अब और योगदान नहीं देगा। निकी हेली के अनुसार- राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि वे मदद रोक नहीं रहे लेकिन तब तक और आर्थिक मदद नहीं देना चाहते, जब तक फलस्तीनी बातचीत के लिए तैयार नहीं होते।