योग “हिंदू” बनाने का जरिया नहीं, जीने की कला है: अमरीकी कोर्ट
एक अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि योग
पूर्णतया धर्मनिरपेक्ष है तथा यह लोगों को हिंदू बनाने का माध्यम नहीं है
वाशिंगटन। अमरीका की एक अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि योग पूर्णतया धर्मनिरपेक्ष है तथा यह लोगों को हिंदू बनाने का माध्यम नहीं है। कैलिर्फोनिया के फोर्थ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ऑफ अपील ने स्कूलों में योग सिखाने के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि प्राचीन हिंदू धर्म से जुड़े होने के बावजूद भी यह किसी को हिंदू बनने के लिए प्रेरित नहीं करता है और न ही किसी की धार्मिक आजादी के अधिकार को चुनौती देता है।
उल्लेखनीय है कि कैलिर्फोनिया की कुछ स्कूलों में बच्चों को योग सिखाने की पहल की जा रही है। ऎसे स्कूलों को अक्सर बच्चों के माता-पिता के गुस्से का सामना करना पड़ता है। उनका मानना है कि इससे बच्चों को हिंदू संस्कृति पढ़ाई जा रही है। इसी तरह की शिकायत को लेकर दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि योग के द्वारा स्कूलों में छात्रों को सूर्य की आराधना करने तथा हिंदुओं की तरह प्रार्थना करना सिखाया जा रहा है।
स्कूल प्रबंधन ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने योग से धर्म आधारित सभी चीजों को हटा दिया है। साथ ही इसका स्कूल के माहौल पर सकारात्मक असर भी देखने में नजर आ रहा है। बच्चे पहले से ज्यादा सकारात्मक, मजबूत तथा दिमागी रूप से अधिक एकाग्र हो गए हैं जिससे उनकी परर्फोमेंस पहले से बेहतर हो गई है।
Home / world / America / योग “हिंदू” बनाने का जरिया नहीं, जीने की कला है: अमरीकी कोर्ट