बता दें कि अमेठी जिले के फुरसतगंज में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी स्थापित है। यहां पर प्रशिक्षण देकर पायलट तैयार किए जाते हैं। अकादमी के पास स्थित सरकारी जमीन को इग्रुआ प्रबंधन को उपयोग करने के साथ देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।यह जमीन राजस्व अभिलेखों में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान एकेडमी फुरसतगंज हवाई अड्डा के नाम पर है। बताया जाता है कि इस जमीन को इग्रुआ प्रबंधन ने परिसर स्थित राजीव गांधी उड्यन विश्व विद्यालय के नाम बैनामा कर दिया है। इसकी जानकारी मिलने पर तिलोई तहसील प्रशासन में हड़कंप मचा है।
जानकारी के मुताबिक, तिलोई एसडीएम डॉ. अशोक कुमार शुक्ला ने इग्रुआ निदेशक को नोटिस जारी किया है। एसडीएम ने बताया कि नोटिस जारी करके जवाब मांगा गया है कि आखिर इग्रुआ निदेशक ने किसी अधिकार के तहत जमीन को बेचा है। यह नोटिस बीते माह जारी की गई। एसडीएम ने बताया कि निदेशक का जवाब आने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि यह जमीन करोड़ों की है। इस जमीन को निदेशक को दूसरी संस्था के नाम बैनामा करने का कोई अधिकार नहीं है।
इग्रुआ का प्रबंधन 2008 से सीएई के पास यूपीए सरकार में इग्रुआ का प्रबंधन नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कनाडा की कंपनी सीएई को यह कहते हुए सौंप दिया था कि सीएई यहां विश्वस्तरीय फ्लाइट की ट्रेनिंग शुरू कराएगी और कोर्स लागू करेगी। सीएई भी ऐसा करने में विफल रही। मंत्रालय द्वारा गठित रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट में यह कहा भी गया है। सीएई को प्रबंधन के लिए हर साल करीब चार करोड़ रुपए दिए जाते हैं। इस विदेशी कंपनी ने प्रबंधन संभालने के लिए देश के ही एक रिटायर एयरवाइस मार्शल को नियुक्त कर कर रखा है।सीएई का कांट्रैक्ट मार्च 2018 में समाप्त हो रहा है। मंत्रालय के कुछ अधिकारी इसे फिर निजी हाथों में देने की तैयारी में हैं। हालांकि रिव्यू रिपोर्ट कह रही है कि इग्रुआ और रागनाऊ दोनों ही आटोनॉमस हैं। इन्हें आपस में मिला दिया जाना ही देश और संस्था दोनों के हित में है।
1985 में राजीव गांधी ने शुरू की थी उड़ान अकादमी इग्रुआ की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेठी संसदीय क्षेत्र में आने वाले फुरसतगंज एयरफील्ड पर की थी। इसका मकसद देश में विश्वस्तरीय पायलट तैयार करना था और एविएशन सेक्टर में पायलटों की कमी को पूरा करना था। इग्रुआ में केंद्र सरकार हर साल करीब पौने सात करोड़ रुपए अनुदान भी देती है। यहां कामर्शियल पायलट कोर्स (सीपीएल) की सालाना फीस अभी 32 लाख रुपए है। इसे बढ़ाकर 40 लाख करने का प्रस्ताव विचाराधीन है।