खतौनी से गायब किसानों का नाम दरअसल गौरीगंज तहसील के दर्जनों गांव में रहने वाले 67 किसानों का नाम राजस्व कर्मियों की लापरवाही के चलते खतौनी से गायब हो गया। पूर्व प्रधान रहीं आंधी बताती हैं की हम लोगों के पास जो थोड़ा बहुत खेत है, वह भी खतौनी में दर्ज नहीं है। इसकी शिकायत लेखपाल से की गई लेकिन कोई फायदा हाथ नहीं लगा। ऐसे में खुद का और बच्चों का पेट भरना मुश्किल हो गया है।
इन 67 किसानों की लड़ाई लड़ने वाले गढ़ा माफी के बड़े काश्तकार अभिषेक ने बताया की 2 साल पहले उनकी खतौनी नए खाते के साथ दर्ज की गई थी। 2 साल से उनका काम चल रहा है लेकिन जब ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हुई, तो पता लगा उनकी खतौनी ऑनलाइन है ही नहीं। उन्होंने बताया कि वे अमेठी की नोडल अधिकारी, एसडीएम और डीएम से मिल कर इस संबंध में एपेलीकेशन भी दिया है। 3 महीने से उनका धान पड़ा है। पिछले दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि से उनकी धान पूरी तरह सड़ गई। लेकिन कोई कार्यवाही सरकार और प्रशासन की तरफ से नहीं हुई। लगभग 250 क्विंटल धान था जो कि सड़ कर नष्ट हो गया और सरकारी क्रय केंद्र पर बेचा नहीं जा सका।
अपर जिलाधिकारी ने कही यह बात अपर जिलाधिकारी ईश्वरचंद्र बरनवाल ने बताया कि किसानों का नाम खतौनी बनाते समय किसी प्रक्रिया के तहत गलत हो गया था। हम आप अच्छी तरह जानते हैं कि जब भी खतौनी में कोई दुरुस्ती या नाम परिवर्तन आदेश होता है, तो उसे खतौनी के विवरण के कॉलम में दर्ज किया जाता है। विवरण कॉलम में उन सभी 67 किसानों का नाम खतौनी में दर्ज है। जहां तक उनके धान न खरीदने की बात है तो शासन द्वारा जो सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था, उसमें विवरण कॉलम में जो नाम थे उनको टेक अप ना करने की कोई त्रुटि के कारण वह नाम नहीं दर्ज हो पाया। इसके लिए शासन से कहा गया है कि अगर ऐसे किसानों में से कोई व्यक्ति धान बेचना चाहता है, तो उसे हमें मैनुअली वेरीफिकेशन करके उनका धान खरीदने की अनुमति दी जाए।