वर्दी से मैच करेगा मास्क अटारी वाघा बॉर्डर पर ध्वजारोपण समारोह हर शाम को होता है। इसे देखने के लिए हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है। कोरोना महामारी के चलते गत दो महीनों से पाबंदी लगी हुई है। अब यह पाबंदी खुलने वाली है। इस रिट्रीट सेरेमनी को सीमा सुरक्षा बल के जवान करते हैं। कोरोना के कारण बीएसएफ के जवान मुंह पर मास्क लगाकर परेड करते करेंगे। अपनी वर्दी के रंग से मैचिंग मास्क बांध कर बीएसएफ के जवानों की आवाज व बूटों की धमक सीमा पर दुश्मनों को चुनौती देगी।
नहीं रहेंगे दर्शक कोरोना महामारी के चलते पूरे नियम और एहतियात से बीएसएफ जवानों की एक टुकड़ी चुपचाप समारोह के दौरान तिरंगे को निर्धारित मर्यादाओं के साथ उतारेगी। अभी दर्शकों की उपस्थिति नहीं होगी। पर्यटकों की उपस्थिति न होने के कारण जवानों की भाव भंगिमाएं और तेवर में उस तरह की खनक नहीं होगी, जैसे हुआ करती है। 25 हजार से ज्यादा पर्यटकों के बैठने की खाली दर्शक दीर्घा के बीच अभी बीएसएफ जवान परेड करेंगे। झंडा उतारने की रस्म अदा करेंगे। उत्साह भरने के लिए बीएसएफ देशभक्ति की धुन पर परेड का आयोजन पूरे शान से करती है।
मास्क लगाकर पूर्वाभ्यास किया बीएसएफ जवानों ने मास्क लगाकर रिट्रीट सेरेमनी का पूर्वाभ्यास किया। दूसरी तरफ, पाकिस्तान में वाघा बॉर्डर पर आयोजित परेड में शामिल जवान कोरोना के लिए निर्धारित मापदंडों का पालन नहीं करते दिखाई दिए। रेंजर के जवानों ने न तो चेहरों पर मास्क लगा रखा था और न ही हाथों में दस्ताने पहन रखे थे। इंटरनेशनल बॉर्डर पर झंडा उतारने की रस्म के दौरान बीएसएफ व रेंजर के जवानों के बीच की दूरी बहुत कम होती है।
कामगार मायूस अटारी सीमा पर बीएसएफ ही नहीं यहां पर और भी कई कामगार पर्यटकों के न आने से मायूस हैं। उन्हें उम्मीद है कि यह सब जल्द ही शुरू होगा और रौनक फिर से बढ़ेगी। अटारी सीमा पर आने वाले कामगारों को उम्मीद है कि जब सरकार बंदिशें हटा रही है तो एक दिन परेड देखने के लिए पर्यटकों के आने पर लगी पाबंदी भी हट जाएगी। तब हमारा रोजगार चलेगा और चार पैसे कमाने को मिलेंगे।