अस्पताल में 2 वर्षीय बालक की मौत, परिजनों ने ऑक्सीजन खत्म होने का लगाया आरोप
पुत्र का शव लेकर पैदल ही पिता पहुंचा कलेक्ट्रेट, अपर कलेक्टर ने बयान दर्ज कराकर जांच के दिए निर्देश
अस्पताल में 2 वर्षीय बालक की मौत, परिजनों ने ऑक्सीजन खत्म होने का लगाया आरोप
अनूपपुर। जिला अस्पताल में सुबह ११ बजे एक हृदय विदारक घटना ने अस्पताल परिसर को स्तब्ध कर दिया। सुबह ११ बजे उपचार के लिए भर्ती हुए २ वर्षीय बालक राम कृपाल केवट पिता कल्लू केवट निवासी जमुना की मौत हो गई। जहां पिता अपने मासूम पुत्र के शव पर फूट-फूटकर रोया। पिता की के आंसु और गोद में पुत्र के शव को देखकर हरेक का कलेजा पिघल गया। परिवार के सदस्यों ने अपने मासूम पुत्र की मौत का कारण ऑक्सीजन खत्म होना बताया। साथ ही उपचार के लिए भर्ती हुए दो अन्य बच्चों को भी परिजन किसी अनहोनी की आशंका में बच्चा वार्ड से लेकर चलते बनने की जानकारी दी। इस घटना के बाद अस्पताल परिसर में मातम सा माहौल छा गया। बालक के पिता कल्लू केवट ने उपचार के दौरान डॉक्टर की अनुपलब्धता बताया। स्टाफ नर्स द्वारा घटना की जानकारी सिविल सर्जन डॉ. एसआर परस्ते को दी, जहां मौके पर पहुंचे सिविल सर्जन ने इसे अचानक अंतरिक परिस्थितियों में मौत होने की बात कही। लेकिन परिजनों की नाराजगी कम नहीं हुई। घटना के बाद परिजनों ने बालक के शव को गोद में उठाकर ढाई किलोमीटर दूर पैदल ही कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे। कलेक्ट्रेट परिसर में अपर कलेक्टर कक्ष में अपर कलेक्टर बीडी सिंह सहित एसडीएम अनूपपुर अमन मिश्रा ने बालक की मौत पर आफसोस जाहिर करते हुए परिजनों की शिकायतों को सुना। इस दौरान अपर कलेक्टर ने एसडीएम से परिजनों के लिखित बयान दर्ज कराते हुए जांच के निर्देश दिए। अपर कलेक्टर कार्यालय में बैठे परिजनों ने अपने बयान में बताया कि वह जमुना निवासी है। उसके २ वर्षीय पुत्र रामकृपाल केवट को सोमवार १९ अगस्त की सुबह अचानक बुखार आया था, जिसकी तबियत खराब होने पर वह परासी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और अनूपपुर बीएमओ डॉ. आरके वर्मा के पास सुबह ९.३० बजे जमुना स्थित निज आवास ले गया था। डॉक्टर वर्मा अपने घर में नहीं थे, उनकी पत्नी ने बताया कि वे शहडोल गए हैं। पुत्र की हालत देखते हुए डॉक्टर की पत्नी ने शासकीय अस्पताल परासी से एम्बुलेंस बुलवा दिया और बच्चे को जिला अस्पताल अनूपपुर ले जाने की सलाह दी। मेरे साथ परिवार के पुत्र नीलाचंल भी साथ आया था। जिला अस्पताल में सुबह ११ बजे पहुंचने पर पर्ची कटवाकर डॉ. बृजेश पटेल द्वारा भर्ती किया गया था। डॉक्टर ने पुत्र को भर्ती कर दवाई भी चलाई और ऑक्सीजन भी लगाया था। कुछ देर के बाद डॉक्टर कक्ष से बाहर चले गए। तभी कुछ देर के बाद ऑक्सीजन खत्म हो गया। मेरे साथ दो अन्य बच्चे भी उपचार के लिए भर्ती हुए थे। अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं था, ऑक्सीजन नहीं होने से उनके परिजन अपने बच्चों को लेकर चले गए। मैं नहीं ले गया और अस्पताल में ही रखा रहा। एक स्टाफ नर्स के द्वारा ड्रिप बस चढ़ाया गया। ड्रिप चढ़ाने के बाद कोई भी डॉक्टर देखने तक नहीं आया। मेरे साथ आए नीलाचंल ने ड्यूटी डॉक्टर को फोन लगाया, लेकिन डॉक्टर द्वारा फोन नहीं उठाया गया इसके बाद डॉ. परस्ते को फोन लगाया गया। उनके आने तक मेरे बच्चे की मौत हो चुकी थी। वहीं अपर कलेक्टर व एसडीएम ने मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार सहित अन्य कार्यक्रमों के लिए आर्थिक मदद के लिए ११ हजार रूपए का चेक प्रदान किया।
बॉक्स: तीन डॉक्टरों के भरोसे शिशु कक्ष
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी का आलम यह है कि पीडियाट्रिक वार्ड में तीन डॉक्टरों के भरोसे पूरी दिन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। एक डॉक्टर ८ घंटे की ड्यूटी के साथ ओपीडी और राउड की भी जिम्मेदारी सम्भालते हैं। खुद सिविल सर्जन मानते हैं कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है, जिसके कारण कम डॉक्टरों में स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है।
वर्सन:
परिजनों ने ऑक्सीजन खत्म होने के कारण मौत का आरोप लगाया है। डॉक्टर भी मौके पर उपलब्ध नहीं थे। परिजनों का बयान दर्ज किया गया है, मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
अमन मिश्रा, एसडीएम अनूपपुर।