अनूपपुर। दशकों से कोयला लोड भारी वाहनों की आवाजाही में परत-दर-परत उधड़ चुकी सडक़ और बेहाल नागरिकों की मांग के बाद अब जमुना कॉलरी प्रबंधन ने सडक़ की सुध लेकर डामरीकरण करवाना आरम्भ किया है। सडक़ के डामरीकरण के बाद सैकड़ों गांव सहित पसान और कोतमा नगर के नागरिकों को आवाजाही में राहत मिल सकेगी। इसके अलावा आमाडांड कोयला खदान से गोंविदा कोल सायडिंग तक आने वाली भारी वाहनों को भी राहत महसूस होगी। बताया जाता है कि कॉलरी द्वारा सडक़ का डामरीकरण कराया जा रहा है। लगभग पसान से कोतमा के बीच ६ किलोमीटर लम्बी सडक़ के कार्य में सप्ताहभर का समय लग जाएगा। फिलहाल कॉलरी द्वारा भालूमाडॉ डबल स्टोरी के आगे से लेकर कोतमा भारत माता स्कूल तक सडक़ का सुधार कर पैचवर्क और जहां पर रोड ज्यादा खराब थी वहां पर डामरीकरण का कार्य कराया गया है। बताया जाता है कि यह कोतमा-भालूमाड़ा मार्ग केवल कोतमा या भालूमाड़ा तक ही सीमित नहीं है। बल्कि यह मार्ग छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रायपुर अमरकंटक पेंड्रा डिंडोरी आने जाने का भी मुख्य मार्ग है। साथ ही यहां के आसपास के सैकड़ों ग्रामीणों के लिए भी यह मार्ग अत्यंत उपयोगी है। वर्तमान में कोविड का समय चल रहा है और दिन रात स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस मरीजों को लाना ले जाना करते हैं। भालूमाड़ा में ही एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र का रीजनल हॉस्पिटल है, जहां गोविंदा, लहसुई, कोतमा, बदरा के अलावा अन्य क्षेत्र के लोग भी इलाज के लिए आते हैं। बॉक्स: दशक के बाद पुन: डामरीकरणभालूमाड़ा- कोतमा मार्ग १० साल पूर्व सीसी सडक़ थी, जिसे कॉलरी द्वारा बाद में डामरीकृत कर दिया। इसके बाद सडक़ में सुधार कार्य भी कराए गए, लेकिन कॉलरी ने उन खराब हुई सडक़ पर सुधार के नाम पर कभी गिट्टी तो कभी मुरूम डालकर भरपाई कर दी। हालत यह बनी कि मेंटनेंस के अभाव में सडक़ बारिश के दौरान तालाब सी शक्ल लेने लगी। लोग जमे पानी से गुजरते और गड्ढों में गिरकर घायल होते। इस मार्ग से एसईसीएल के बड़े-बड़े कोयले से लदे ट्रक 24 घंटे आवागमन करते हैं। जिस कारण से रोड के परखच्चे उड़ गए थे।[typography_font:18pt;” >————————————————–