आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता घर घर पहुंच गर्भवती महिलाओं को करेगी चिन्हित
प्रसव कहां और कब जाने की लेगी जानकारी, समय से वाहन कराए जाएंगे उपलब्ध, पंजीयन कर रिकार्ड तैयार करने की रणनीति

अनूपपुर। अभी तक गर्भवती माताओं के प्रति विभाग की बन रही अनदेखी और संस्थागत प्रसव के अभाव में होने वाले जच्चा बच्चा की मौत पर अब जिला प्रशासन ने गम्भीरता दिखाई है। हाल के दिनों में शहडोल जिला अस्पताल में हुए नवजातों की मौत से उबडऩे प्रशासन ने नई रणनीति के तहत क्षेत्र की मैदाली अमले के माध्यम से गर्भवती माताओं पर निगरानी बनाने की योजना बनाई है। जिसमें अब एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता अपने अपने क्षेत्र के गांवों में घर घर पहुंचकर ऐसे गर्भवती माताओं को चिह्नित करेगी। और समयानुसार उनके प्रसव कहां व कब लेकर जाने के सम्बंध में जानकारी दर्ज करेगी। ताकि समय पर ऐसे गर्भवती माताओं को वाहन सुुविधा उपलब्ध कराते हुए स्वास्थ्य केन्द्र तक पहुंचाया जा सके। कलेक्टर ने भी महिला बाल विकास अधिकारी को हिदायत दी कि वे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर भिजवाकर गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कराकर पता करें कि वह प्रसव कराने कब और कहां जाएंगी। साथ ही हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को भी चिन्हित कराया जाए। कुपोषण की रोकथाम के लिए महिलाओं पर गर्भावस्था से ही ध्यान देने पर जोर देते हुए कहा कि गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर उनके टीकाकरण और उन्हें मल्टी विटामिन एवं पौष्टिक आहार देने पर ध्यान दिया जाए, ताकि जच्चा और बच्चा की मौतों पर अंकुश पाया जा सके। सीएमएचओ डॉ. बीडी सोनवानी ने बताया कि जिले में वर्तमान आबादी लगभग ८ लाख ३४ हजार से अधिक है। इसके औसत अनुपात में प्रतिवर्ष २२ हजार गर्भवती माताओं का पंजीयन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ऐसे पंजीकृत गर्भवती माताओं मेटरनल चाइल्ड हेल्थ प्रोग्राम के तहत शासकीय योजनाओं से लाभांवित करने के साथ उन्हें सुरक्षित जीवन प्रदान करना भी है। और पूर्व गर्भकाल के दौरान उनका प्राथमिक जांच और आवश्यक सेवाएं मुहैया कराएगी। इस दौरान गर्भवती माताओं को ४ बार जांच होना अनिवार्य है।
बॉक्स: गर्भवती माताओं के रिकार्ड की योजना
सीएमएचओ ने बताया कि इस रणनीति में स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे पंजीयन कर यह आंकड़ा जुटाएंगे कि उनके क्षेत्राधिकार में कितनी माताएं गर्भवती है। कितना समय पूरा हुआ और किनका क्रिटिकल। साथ ही इस आंकड़े में किसी माता को कुपोषण सहित अन्य परेशानियों में तत्काल इलाज के लिए व्यवस्था बनाने की भी जिम्मेदारी रहेगी। अगर प्रसव के लिए तत्काल वाहन की आवश्यकता है तो उसकी भी व्यवस्था बनाते हुए संस्थागत प्रसव के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र लेकर जाएगी।
बॉक्स: कुपोषित पर भी निगरानी
जिले में वर्तमान में ३ माह से कम उम्र के १९ हजार नवजात बच्चें हैं। जिनमें ५६७६ कुपोषित तथा ६१६ अतिकुपोषित की श्रेणी में हैं। इसके लिए भी पांच एनआरसी सेंंटर अनूपपुर, जैतहरी, कोतमा, राजेन्द्रग्राम और करपा में बच्चों को भर्ती कराकर उनके स्वास्थ्य पर निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। जिले में १९४ नियमित और ८४ एएनएम और ८९९ आशा कार्यकर्ताओं नियुक्त हैं।
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