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अनूपपुर

बने नया भारत: कृषि और कुटीर उद्योग को बढ़ावा और श्रमिकों के अनुरूप मिले कार्य

कागजों पर नहीं धरातल पर बने योजनाएं तभी श्रमिकों का रूकेगा पलायन

अनूपपुरMay 26, 2020 / 09:06 pm

Rajan Kumar Gupta

Bane Naya Bharat: Promotion of agriculture and cottage industry and wo

बने नया भारत: कृषि और कुटीर उद्योग को बढ़ावा और श्रमिकों के अनुरूप मिले कार्य

अनूपपुर। कोरोना महामारी के बाद पलायन कर वापस गांव लौट रहे मजदूरों का जीवन अब नदी के बीच मझधार पर अटका जैसा नजर आ रहा है। जिसमें पूर्व ही उद्योगों के बंद के कारण बेरोजगारी की मार झेल कर अपने गांव की ओर पहुंच रहे हैं। अनूपपुर जिले में अबतक १० हजार ४०० मजदूर वापसी कर चुके हैं। शेष ४५०० से अधिक वापसी की गुजाईश है। लेकिन गांव में रोजगार के अवसर की कमी और बेहतर खेती के अभाव में ऐसे परिवारों का जीवन यापन मुश्किल भरा दौर से गुजरेगा। इस सम्बंध में पत्रिका द्वारा बेबिनार के माध्यम से शहर के उद्योगपति, विभागीय अधिकारी और विशेष की राय ली गई। जिसमें यह बात सामने आई कि बेहतर कृषि के साथ बिजली व्यवस्था और कुटीर उद्योगों को पुर्नस्थापित करने से मजदूरों के उनके अनुसार कार्य और मेहनताना मिल पाएगा और गांव विकास की ओर अग्रसर होगा। लेकिन इनमें समय लगेगा। राष्ट्रीय आजीविका मिशन प्रबंधक शशांक सिंह का कहना है कि बाहर से आ रहे मजदूर यहां स्वसहायता समूह से जुड़े अधिकांश परिवारों के सदस्य है। जिनकी घर की महिला स्वसहायता समूह से ताल्लुक रखते हैं। गांव में पहले से ही आजीविका मिशन योजना के तहत महिलाओं को स्वावलम्बन बनाने मिशन स्तर पर सामूहिक निवेश निधि, कैश क्रेडिट लिमिट जैसी योजनाओं के माध्यम से लाभ पहुंचा रही है। इसके अलावा मत्स्य पालन सहित अन्य छोटे मोटे रोजगार से जुड़ रहे हैं। जबकि शासकीय स्तर पर मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजान, और आर्थिक कल्याण योजना जैसे आर्थिक मदद के माध्यम से उद्योग के इच्छुक लोगों को लोन पर दिलाया जा रहा है। इससे यह राहत की बात होगी कि ऐसे परिवार के सदस्य आसानी से अपने स्वरोजगार के लिए अग्रसर होंगे। काष्ट उद्योग के मालिक विवेक वियानी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने २० लाख करोड़ का पैकेज जो तैयार किया है इनमें ऐसे परिवारों के लिए राहत अवश्य लाएगा। स्किल डवलपमेंट के आधार पर लोग रोजगार के साधन अपनाएंगे। ग्राम पंचायत में मनरेगा के तहत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं लेकिन इसका अधिक लाभ मजदूरों को नहंी मिलेगा। अनाज की कमी नहीं लेकिन ज्यादा दिनों तक सहारा नहीं बनेगी। इसके लिए जैविक कृषि को बढावा देना होगा, कृषि विभाग किसानों के लिए सस्ते दरों पर जैविक खाद्य बनाने और उपलब्ध कराने की रणनीति तैयार करें, नदियां भरपूर है, सिंचाई की व्यवस्था बनाए ताकि किसानों के साथ खेतों में काम के लिए मजदूरो को रोजगार मिल सकेगा। कुटीर धंधो को सफलता मिलेगी, क्योंकि बड़े उद्योग बंद हो चुके हैं और मजदूरों की कमी है। ऐसे में लोकल पर बोकल अधिक कारगार साबित होगा। लेकिन मजदूरों को गांवों में बेहतर जीवन के लिए कम से २-५ वर्ष का समय लगेगा। उपसंचालक कृषि डीएन गुप्ता ने कहा जो मजदूर खेती से दूरी बनाकर रोजगार की तलाश में बाहर चले गए, आज वे वापस लौट रहे हैं। खेती एक बार फिर से ग्रामीणों के लिए एकमात्र जीवन का सहारा के लिए रूप में सामने आ रही है। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को सस्ते खाद्, बीज और सिंचाई का साधन मिले, बिजली की आपूर्ति गांवों में अधिक समय मिलने से सिंचाई की सुलभता होगी। इसके अलावा कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बांस की सामग्रियां, पशु पालन, आयुर्वेद आधारित खेती, लकड़ी के सामानों की कारीगरी के लिए प्रोत्साहित करना होगा। इससे ग्रामीण जीवन पुन: अपने कुटीर उद्योग के साथ खेती के लिए लौटेगी। वहीं आर्थिक जगत से जुड़े सीए भौमिक राठौर बताते हैं कि वापस लौट रहे श्रमिक गांवों के साथ जिले के लिए भी एक बड़ी समस्या के साथ वापसी करेंगे। पहले से कोरोना के कारण आर्थिक कष्ट से गुजर बसर कर रहे परिवार के लिए अन्य परिवारों का बोझ बढेगा। रोजगार के लिए मारामारी होगी। इसके लिए शासन को चाहिए कि स्थानीय स्तर पर उनके अनुसार के कार्य कराए जाएं। कुटीर उद्योग उनकी कार्यकुशला के अनुसार उपलब्ध कराया जाए। बैंक से सहायता मिले। क्योंकि ये मजदूर अपने स्किल के अनुसार ही बाहर रोजगार करते हैं। ये सभी एक श्रेणी के श्रमिक नहीं होते हैं। जरूरत है उनके स्किल और कार्यकुशलता के अनुसार रोजगार उपलब्ध कराना।
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