कभी नगर की प्यास बुझाने वाला दुल्हा तालाब, अब खुद पानी के अभाव में सूखा
सालोभर लबालब रहने वाला तालाब समतल मैदान में आने लगा नजर
कभी नगर की प्यास बुझाने वाला दुल्हा तालाब, अब खुद पानी के अभाव में सूखा
अनूपपुर। प्राचीन और धार्मिक ऐतिहासिक दुल्हा(दुलहरा)तालाब, अनूपपुर नगरपालिका सहित दुलहरा ग्राम पंचायत के मध्य सबसे बड़ी तालाब, जहां बारहो मास लबालब पानी से भरा रहता था। इसी तालाब की मेढ पर बोर पम्प स्थापित कर नगरपालिका अनूपपुर हजारों की आबादी को शुद्ध व मीठा पेयजल आपूर्ति करता था। नगर के साथ ग्रामीण क्षेत्र से जुडे होने के कारण धार्मिक अनुष्ठानों के साथ नहाने व मत्स्य पालन का भी कार्य किया करते थे। सालोंभर पानी भराव के कारण आसपास का जलस्तर भी समान बना रहता था। लेकिन वर्तमान में ४०-५० एकड़ में फैले दुल्हा तालाब में बारिश की पानी की आवक नहीं होने से भराव नहीं हो रहा है। आसपास ग्रामीणों द्वारा अतिक्रमण किए जाने से इसके किनारे सिमटता जा रहा है। तालाब के किनारे मेढ़ बनने से आसपास के खेतों का पानी तालाब में नहीं उतर रहा है। जिसके कारण यह दुल्हा तालाब अब सूखकर समतल मैदान में नजर आने लगा है। बताया जाता है कि प्राचीन और सालोंभर पानी से लबालब रहने वाले तालाब को बचाने नगरपालिका द्वारा पूर्व में सकरिया गांव से प्रवाहित होने वाली चंदास नदी से कच्ची नाला बनाकर नदी का पानी तालाब तक पहुंचाया गया था। जिसे बाद में ग्रामीणों ने अपनी खेत सिंचाई की जरूरतों के अनुसार जगह जगह काटकर उसे अवरूद्ध कर दिया। तालाब की सफाई और गहरीकण नहीं होने के कारण तल में भराव आ गया। पक्के निर्माण से दुलहरा गांव से आने वाला बारिश का पानी तालाब में नहीं उतर पा रहा है। नगरपालिका सूत्रों का कहना है कि शुरूआत में नगरपालिका द्वारा लाखो खर्च कर सीढी तैयार कर तालाब के नीचे तब बनाई गई। इसके अलावा चंदास नदी के पानी को तालाब तक लाने में नाला खोदवाकर पानी उतारा गया था। जबकि मत्स्य पालन के लिए ग्राम पंचायत द्वारा लाखों की लीज दी गई। लेकिन इसके सौन्दर्यीकरण और गहरीकरण पर कभी दोनों पक्षों ने ध्यान नहीं दिया। जानकारों का मनना है कि तालाब को पुन: पानी भरावयुक्त बनाने के लिए अतिक्रमण हटाने के साथ आसपास के क्षेत्र के बारिश का पानी तालाब में लाकर तालाब को भराव किया जा सकता है। ३ किलोमीटर बहती चंदास नदी से २ फीट गोल ह्यूमर पाइपलाइन के माध्यम से लगातार पानी का बहाव तालाब में बनाकर भराव व गहरीकरण तालाब को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
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