दिसम्बर माह तय थी समय सीमा, फिर भी 12 गौशालाओं का निर्माण अबतक अधूरा
अतिक्रमण व जमीनी विवाद में उलझा राजस्व विभाग, विभाग को नहीं निर्माण की जानकारी
दिसम्बर माह तय थी समय सीमा, फिर भी 12 गौशालाओं का निर्माण अबतक अधूरा
अनूपपुर। जिले में प्रस्तावित १२ गौशालाओं के निर्माण को लेकर प्रशासन गम्भीर नहीं दिख रहा है। ग्रामीण विकास विभाग के अधीन गौशाला निर्माण परियोजना का विभागीय अधिकारियों को भी गौशाला निर्माण की वास्तवितक जानकारी नहीं है। कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति में गौशाला निर्माण के लिए जिले के चारों विकासखंड में तीन-तीन गौशालाओं के निर्माण की प्रस्तावित योजना तैयार कर विकासखंड स्तर की समिति में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को ६ एकड़ शासकीय भूमि का तत्काल आवंटन के निर्देश दिए गए थे। लेकिन शासन के प्रस्तावित परियोजना में जिला प्रशासन को जमीनों की तलाश और उनपर बसे अतिक्रमणों को हटाने में राजस्व अधिकारियों को छह माह से अधिक का समय गुजर गए। हालात यह है कि शासन के जारी निर्देश में दिसम्बर माह के अंत तक गौशालाओं के निर्माण के दिए अल्टीमेंटम में जिले के सभी १२ गौशालाएं आधी-अधूरी हैं। जिले के चारों विकासखंड अनूपपुर में ३ की जगह ५ गौशालाओं का निर्माण कराया जा रहा है। जबकि जैतहरी विकासखंड में ३ प्रस्तावित गौशाला की जगह मात्र २ स्वीकृत हो सके हैं। कोतमा में ३ और पुष्पराजगढ़ विकासखंड में भी ३ गौशालाओं का निर्माण कार्य आरम्भ किया गया है। इनमें जैतहरी विकासखंड में कोलमी और बकेली ग्राम पंचायत में, अनूपपुर विकासखंड के बम्हनी, मुड़धोवा, परासी, उरा, दारसागर में, कोतमा में सारंगगढ़, बेनीबहरा, साजाटोला, पुष्पराजगढ़ में सरई, करनपठार, और लेढरा में निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार कुछ गौशालाओं के निर्माण की अब नींव खुदी है। जिसके दिसम्बर अंत तक निर्माण कार्य पूर्ण पर असमंजस्यता जताई जा रही है। बताया जाता है कि सरकार ने अनाथ गोवंशों को सुरक्षित रखने, पशुपालन, डेयर उद्योग, कम्पोस्ट खाद निर्माण को बढावा देने के उद्देश्य से विकासखंड स्तर पर कलस्टर के आधार पर गौशाला निर्माण को हरी झंडी दिखाई थी। जिसमें शासन ने प्रत्येक गौशाला के निर्माण के लिए २७ लाख २२ हजार की राशि आवंटित कराते हुए ६ एकड़ की एक गौशाला निर्माण के प्रस्ताव बनाए। इनमें १ एकड़ की भूमि पर १ हॉल, १ भूसा गोदाम तथा ५ एकड़ की जमीन पर चारागाह बनाया जाना प्रस्तावित किया गया। परिसर में कम से १०० मवेशियों को रखने की व्यवस्था के साथ ट्यूबवेल, बॉयोगैस संयंत्र, नाडेप की उपलब्धता कराया जाना प्रस्तावित है। गौशाला में रहने वाले मवेशियों की संख्या के आधार पर प्रति मवेशी २० रूपए शासन द्वारा उपलब्धता कराया जाएगा। फंड की व्यवस्था पंचायत, मनरेगा, एमपी-एमएलए फंड तथा अन्य कार्यक्रमों के समन्वय से किया जाना प्रस्तावित किया गया है। ग्रामीण विकास विभाग प्रोजेक्ट गौ-शाला का नोडल विभाग बनाए गए हैं। ग्राम पंचायत, स्व-सहायता समूह, राज्य गौ-संवर्धन बोर्ड से संबद्ध संस्थाएं एवं जिला समिति द्वारा चयनित संस्थाएं प्रोजेक्ट गौ-शाला का क्रियान्वयन करेंगी। हालांकि सरकार ने गौशाला संचालन में महिला स्वसहायता समूह को प्राथमिकता देते हुए उसके असमर्थ में एनजीओ को जिम्मेदारी दी जाने की भी बात कही है। लेकिन अबतक गौशालाओं का निर्माण कार्य ही पूरे नहीं हुए हैं।
बॉक्स: जमीनी विवाद में गौशालाओं की वास्तविकता
जिले के प्रस्तावित १२ गौशालाओं में अनूपपुर के ५ गौशालाओं में बम्हनी, परासी में जमीनी विवाद बना जहां, अब जमीन आवंटित हुए और निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं। उरा और दारसागर का डीपीआर तैयार किया गया है। जैतहरी में ३ गौशाला की जगह २ का निर्माण तीसरा का कहीं अता पता नहीं। कोतमा में तीनों गौशालाओं का निर्माण आधा हो सका है, जबकि पुष्पराजगढ़ के ३ गौशालाओं में २ का कार्य जारी तीसरा का अब नींव खुदाई हुई है।
वर्सन:
कुछ स्थानों पर जमीन विलम्ब से उपलब्ध हुए और खेती में मजदूरों के जुटे होने के कारण कार्य धीमी गति से चला। लेकिन जो दिन शेष बचे हैं उसमें अधिक से अधिक काम कराने का प्रयास कराया जाएगा।
सरोधन सिंह, सीईओ जिला पंचायत अनूपपुर।
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