उपाध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के लिए नहीं पहुंचे असंतुष्ट पार्षद, दो दिनों की मोहलत के बाद टला मोशन
पीठासीन अधिकारी ने 2 और 3 दिसम्बर को बुलाया था प्रस्ताव, दोनों दिन नहीं पहुंचे पार्षद
उपाध्यक्ष अविश्वास प्रस्ताव के लिए नहीं पहुंचे असंतुष्ट पार्षद, दो दिनों की मोहलत के बाद टला मोशन
अनूपपुर। नगरपरिषद अमरकंटक में उपाध्यक्ष रामगोपाल द्विवेदी के खिलाफ ११ असंतुष्ट पार्षदों द्वारा दिए गए अविश्वास प्रस्ताव का सम्मिलन पिछले दो दिनों से नाटकीय रूप में चला। जहां दो दिनों तक बुलाए गए अविश्वास प्रस्ताव सम्मिलन में एक भी पार्षद नगरपरिषद कार्यालय नहीं पहुंचे। यहीं नहीं पीठासीन अधिकारी पुष्पराजगढ़ एसडीएम अभिषेक चौधरी द्वारा प्रावधानों के अनुसार दूसरे दिन की दी गई मोहलत में बुलाए गए सम्मिलन में भी एक भी पार्षद सम्मिलन के लिए नहीं पहुंचे। जिसके बाद पीठासीन अधिकारी ने निर्वाचन प्रावधानों को अपनाते हुए अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को निरस्त कर दिया। इसके साथ ही अब पूर्व की भांति नगरपरिषद अमरकंटक उपाध्यक्ष के रूप में रामगोपाल द्विवेदी का पद बना रहेगा। पीठासीन अधिकारी पुष्पराजगढ़ एसडीएम अभिषेक चौधरी ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा पूर्व में २ दिसम्बर को सूचना देते हुए सम्मिलन के लिए बुलाया था। लेकिन निर्धारित समय सुबह ११ बजे पहुंचने पर वहां एक भी पार्षद सम्मिलन के लिए नहीं पहुंचे। इसके बाद ३० मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया। इसके बाद भी नहीं पहुंचे। जिसके बाद प्रावधानानुसार नोटिस चस्पा कर दूसरे दिन ३ दिसम्बर के लिए सम्मिलन बुलाई गई। लेकिन दूसरे दिन ३ दिसम्बर को भी पार्षद सम्मिलन के लिए नहीं पहुंचे।
विदित हो कि नगरपरिषद अमरकंटक में 3 पार्षद कांगे्रस समर्थित और एक पार्षद निर्दलीय है। जबकि १५ वार्ड नगरीय क्षेत्र परिषद में भाजपा समर्थित 11 पार्षद हैं। भाजपा के हैं किसी पार्षद के उपस्थित न होने के कारण नगरपरिषद उपाध्यक्ष के खिलाफ लगाया गया अविश्वास प्रस्ताव निरस्त हो गया।
बॉक्स: दो दिन पूर्व भाजपा ने पार्षदों की बुलाई थी बैठक
जानकारी के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव से पूर्व भाजपा पदाधिकारियों ने सर्किट हाउस अमरकंटक में पार्षदों के साथ बैठक आयोजित की थी। जिसमें असंतुष्ट पार्षदों के साथ अन्य की बातों का सुना गया। इसपर भाजपा पदाधिकारियों ने असंतुष्टों को मनाते हुए आगे से इस प्रकार की कोई मतभेद उत्पन्न नहीं होने का आश्वासन दिया। साथ ही पार्टी के विचारधाराओं के अनुसार मिलकर कार्य करने की बात कही थी। जिसका परिणाम हुआ कि खुद अविश्वास प्रस्ताव के पक्षधर पार्षद सम्मिलन से दूरी बना लिए।
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