अनूपपुर। जिले में मानसून की सक्रियता और लगातार गिर रही बारिश की बौछार में किसानों ने खरीफ की बुआई आरम्भ कर दी है। जिसमें छिटवा रूप में खेती करने वाले किसानों के लिए यह पिक सीजन माना जाता है। लेकिन किसानों ने खेती के लिए खेतों को तैयार को कर दिया है, लेकिन उन्हें जमीन में डालने खाद की कमी से जूझना पड़ रहा है। जिले के लिए आवंटन हुए डीएपी खाद में पुष्पराजगढ़ विकासखंड में डीएपी की कमी हो गई है। खेतों में खाद डालने किसान विपणन संघ की गोदामों के साथ साथ सहकारी समिति दुकानों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन सभी जगह किसानों को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि वर्तमान सीजन में मानसून की बौछार से खेतों में नमी हो गई, साथ ही दो दिनों तक हल्की गर्मी के कारण खेत की उपरी परत नरम हो चुकी है। जिसमें अब छिटवा खरीफ की फसल जैसे धान, सोयाबीन, उड़द, मक्का की बोवनी आसानी से कर सकते है। इस समय जो खाद जमीनों को मिलेगी इससे उत्पादन और पौधों को लाभ पहुंचाता है। लेकिन खाद की कमी में बोवनी कार्य प्रभावित हो रहा है। बताया जाता है कि जिले में २५ समिति कार्यरत है। इनमें अनूपपुर में ६, कोतमा में ४, जैतहरी में ७ तथा पुष्पराजगढ में ८ समिति हैं। लेकिन पुष्पराजगढ़ के ८ समितियों में कहीं भी डीएपी खाद की उपलब्धता नहीं है। विभाग का भी मानना है कि पांच दिन पूर्व लगभग २० मीट्रिक टन खाद थे, लेकिन सम्भवत: अब समाप्त हो गए होंगे। बॉक्स: कहां कितनी खाद की मांग और उपलब्धताविभागीय जानकारी के अनुसार जिले में खरीफ की बुवाई के लिए शासन स्तर से ८५०० मीट्रिक टन खाद की डिमांड रखी गई। जिसमें यूरिया ४ हजार मीट्रिक टन, डीएपी ४ हजार मीट्रिक टन, एमओपी २०० मीट्रिक टन, एसएसपी २०० मीट्रिक टन और अन्य १०० मीट्रिक टन है। लेकिन इनमें अबतक शासन स्तर पर ८७० मीट्रिक टन यूरिया तथा १३८७ मीट्रिक टन डीएपी का आवंटन हुआ। इनमें ५९८ मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हुआ जबकि ८०४ मीट्रिक टन डीएपी वितरित हुई। वहीं मांग में एमओपी २० मीट्रिक टन और एएसपी २१ मीट्रिक की खेप झुकही रैक से अनूपपुर पहुंची ही नहीं। बॉक्स: कितनी खरीफ की बुवाईकृषि विभाग इस वर्ष १.७८ लाख हेक्टेयर खरीफ की बुवाई का लक्ष्य रखा है। जिसमें धान के लिए १२२.०० हजार हेक्टेयर, ज्वार २०० हेक्टेयर, मक्का १४.५० हजार हेक्टेयर, बाजरा २० हेक्टेयर, कोदो कुटकी ७ हजार हेक्टेयर सहित कुल अनाज १४३.७२ हेक्टेयर में जबकि दलहन फसलो में अरहर ११ हजार हेक्टेयर, मूंग ०.९० हजार हेक्टेयर, उड़द ५.६० हजार हेक्टेयर, कुल्थी व अन्य ०.५० हेक्टेयर तथा तिलहन की फसलों में मूंगफली १.२० हजार हेक्टेयर, तिल २.५० हजार हेक्टेयर, सोयाबीन ५.१० हजार हेक्टेयर, रामतिल ७.५० हजार हेक्टेयर कुल १६.३० हजार हेक्टेयर सहित कुल १७८.०२ हेक्टेयर भूमि में बोनी का लक्ष्य रखा गया है। बॉक्स: कहावतों के अनुसार खेती की परम्परादेहाती कहावत के अनुसार ‘तीन बतर तेरह कार्तिक’ अर्थात बतर सीजन में तीन दिन ऐसे होते हैं जिसमें खरीफ की बुवाई और कार्तिक मास के दौरान रबी के लिए १३ दिन बुवाई का पिक सीजन माना जाता है। जून माह में वर्तमान समय छिटवा बुवाई के लिए पिक सीजन माना जाता है। इसके बाद थरहा के रूप में धान की रोपनी की जाती। जिसमें खाद की आवश्यकता होती है। और यह समय जुलाई माह के दौरान होगा। लेकिन वर्तमान में तीन दिनों की बुआई किसानों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।वर्सन:हाल के समय में डीएपी का पुष्पराजगढ़ में वितरण कराया गया था। डिमांड के अनुसार पर्याप्त मात्रा में डीएपी नहीं आई है। अन्य विकासखंड में उपलब्धता है। पुष्पराजगढ़ में जल्द ही व्यवस्था कर वितरण कराया जाएगा।एनडी गुप्ता, उप संचालक कृषि अनूपपुर। [typography_font:18pt;” >———————————————–