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अनूपपुर

विरासतः पांडवों ने बिताया था अज्ञातवास, यहां स्थित है पांडवों की पांच गुफाएं

दिल्ली और भोपाल की पुरातत्व विभाग सहित इंदिरागांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग ने भी खोजे थे पौराणिक अवशेष

अनूपपुरFeb 10, 2021 / 01:44 pm

Rajan Kumar Gupta

Heritage: Pandavas spent unknown life, five caves are located in Shivl

विरासत: पांडवों ने बिताए थे अज्ञातवास, शिवलहरा में स्थित है पांडव कालीन पांच गुफाएं

अनूपपुर। अनूपपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत दारसागर के समीप केवई नदी पर स्थित शिवलहरा की गुफाएं पांडव कालीन गुफाएं मानी जाती हैं। यह गुफाएं केवई नदी के बहती धाराओं के उपर खूबसूरती और प्राकृतिक मनोरम दृश्यों को समेटे एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल नजर आती है। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें दूरदराज के हजारों ग्रामीण पूजा अर्चना के साथ मेले का आनंद भी लेते हैं।

 

आज भी यह लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है जहां भगवान शिव आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिवलहरा की गुफाओं में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय व्यतीत किया था। यहां पांच गुफाएं बनी हुई है, जिसमें पांचों भाईयों के नाम एक-एक गुफा होने की प्रतीत माना जाता है। और इसी दौरान उन्होंने गुफाओं में मंदिर का निर्माण किया था जो आज भी उसी तरह से हैं। मंदिर में दीवारों पर प्राचीन देव लिपि में कुछ वाक्यांश उकड़े हुए हैं।

 

पौराणिक अवशेष भी मिले

स्थानीय लोगों का कहना है कि शिवलहरा की गुफाएं वर्तमान में भी किसी पौराणिक घटनाओं को समेटे अप्रत्यक्ष दर्शाती नजर आती है। शिवलहरा की मान्यताओं की जांच में दिल्ली, और भोपाल की पुरातत्व विभाग ने खोजबीन की थी। इसके बाद कुछ वर्ष पूर्व इंदिरागांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक की पुरातत्व विभाग की टीम ने भी दारसागर सहित शिवलहरा क्षेत्र में खोज किया गया। जिसमें पुरातत्व विभाग को चूड़ी, मिट्टी के बर्तन, मुद्राएं सहित अन्य अवशेष मिले थे। यहीं नहीं इंदिरागांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक पुरातत्व विभाग ने इन अवशेषों के आधार पर अनूपपुर जिले का २५०० वर्ष पूर्व अस्तित्व भी माना था।


पर्यटन स्थली की दरकार

केवई नदी किनारे स्थित शिव लहरा की गुफाएं हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं। लेकिन जहां यह गुफाएं देख रेख के अभाव में जर्जर हो रही हैं। वहीं दूसरी ओर सडक़ पहुंच मार्ग नहीं होने से लोगों को आने जाने में परेशानी भी उठानी पड़ती है। इन पौराणिक अवशेष को सरकार पर्यटन स्थल में शामिल कर इसका सौन्दर्यीकरण कर राजस्व का जरिया बना सकती है।

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